भारत सरकार द्वारा ने अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों को लुभाने के लिए ‘आध्यात्मिक पर्यटन’ की शुरूआत पिछले साल यानी से ही शुरू कर दी थी। यह एक बेहतर पहल थी, जिस पर कार्य जारी है। भारत में ऐसे कई तीर्थ स्थल हैं। जहां ‘स्पिरिचुअल टूरिज़्म’ को बढ़ावा दिया जा रहा है।
उज्जैन, इलाहाबाद, अयोध्या, वाराणसी, वृंदावन, मथुरा दक्षिण भारत के कई शहर ऐसे हैं जहां ‘स्पिरिचुअल टूरिज़्म’ को बढ़ावा दिया जा रहा है। पर्यटन को धर्म से अलग नहीं किया जा सकता है । वजह यह कि धर्म और पर्यटन का साथ ‘खिचड़ी में घी’ जैसा होता है।
मध्यप्रदेश में ‘स्पिरिचुअल टूरिज़्म’ को बढ़ावा देने के लिए उज्जैन एक बेहतरीन विकल्प है। इस धार्मिक शहर का पौराणिक इतिहास सदियों से समृद्ध है। ठीक इसी तरह उत्तरप्रेदश का वाराणसी, इलाहाबाद, मथुरा, वृंदावन में जाने वाला हर पर्यटक मंदिरों और वहां मौजूद धर्म से जुड़े अन्य विकल्पों को देख सकता है।
क्यों जरूरी है ‘स्पिरिचुअल टूरिज़्म’
वर्तमान दिनचर्या काफी भाग-दौड़ भरी है। ऐसे में ‘स्पिरिचुअल टूरिज़्म’ एक ऐसा विकल्प है। जहां कुछ समय जाकर आध्यात्मिक शांति का अनुभव किया जा सकता है। आध्यात्मिक शांति न केवल मन को तनाव रहित करती है। बल्कि मानसिक शक्ति को भी बढ़ाती है।
उत्तर भारत ही क्यों ?
पृथ्वी पर चार जगहों पर महाकुंभ का आयोजन होता है। जोकि क्रमशः उज्जैन, नासिक, इलहाबाद और हरिद्वार यह भी उत्तर भारत में ही आते हैं। भारत में उत्तर भारत में ऐसे कई धार्मिक तीर्थ स्थल हैं जिनका सीधा संबंध रामायण, महाभारत और पुराणों की कहानियों से है।
सदियों से होती रही है चर्चा, लेकिन आज तक है ये रहस्य
ये पौराणिक कहानी सदियों से मौजूद हैं। इनमें वर्णित स्थानों को साक्षात् देखना एक अलग तरह का अनुभव होता है। जिसे सिर्फ अनुभव किया जा सकता है। शब्दों में बयां करना नामुमकिन है।