ऑल इंडिया बैंक इम्प्लाइज एसोसिएशन (एआईबीईए) के एक नेता ने शुक्रवार को कहा कि डीमॉनेटाइजेशन (विमुद्रीकरण) के लिए पूरी तैयारी नहीं कर आरबीआई ने करोड़ों भारतीयों की जिंदगी के लिए मुश्किल पैदा कर दी है. एआईबीईए के महासचिव सी.एच. वेंकटाचलम ने कहा, “गांवों और छोटे कस्बों में लगभग 46,000 बैंक ब्रांचेज और 36,000 एटीएम हैं. वहां छोटे मूल्य वाले नोटों की बेहद जरूरत है, क्योंकि उन इलाकों के निवासियों को अपनी रोजाना का जिंदगी के लिए हाथ में कैश की जरूरत होती है.”
उन्होंनें कहा कि आरबीआई को लगातार छोटी वैल्यू के नोट बड़ी मात्रा में चलन में लाने चाहिए थे ताकि आम आदमी के पास 500 या 1000 रुपये के नोटों के बदले वे छोटे नोट होते. वेंकटचलम ने कहा, “आरबीआई छोटे नोटों की सप्लाई की अपनी योजना में फेल हो गई. इसके अलावा एटीएम फिर से नए नोटों के अनुकूल बनाए जाने हैं, ताकि वे नए नोटों को जारी कर सकें.”
उन्होंने कहा कि अभी तक एटीएम से निकलने वाले फर्जी नोटों को रोकने की समस्या दुरुस्त करने का कोई तंत्र नहीं है. वेंकटचलम ने कहा, “जो लोग शहरों में हैं, उन्हें नोटों को लेकर उतनी समस्या नहीं होगी, लेकिन गांवों की स्थिति अलग है. आरबीआई को चाहिए कि इस समस्या को तेजी के साथ सुलझाए.”
आरबीआई ने एक बयान में कहा है कि बैंकों के पास पर्याप्त मात्रा में नए नोट हैं. इस पर वेंकटचलम ने कहा कि फिर लोग बैंक शाखाओं और एटीएम पर कतार क्यों लगाए हुए हैं. उन्होंने सवाल किया कि यदि व्यवस्था में छोटे नोट नहीं है, तो फिर लोग 2000 रुपये के नोट लेकर क्या करेंगे. वेंकटचलम ने कहा कि बैंकर बहुत ज्यादा परेशान हैं, क्योंकि उन्हें आम जनता के गुस्से का शिकार होना पड़ रहा है जबकि उनकी कोई गलती नहीं है.