पृथ्वीराज कपूर की थिएटर के प्रति दीवानगी बचपन से ही थी। सिर्फ 1 गई थी। तीन-तीन बच्चे हो गए। लेकिन किसी बच्चे की तरह पृथ्वीराज कपूर का एक्टिंग के प्रति
नई दिल्ली। हिंदी सिनेमा के दिग्गज कलाकारों में से एक पृथ्वीराज कपूर का आज जन्मदिन है। पृथ्वीराज कपूर का जन्म 3 नवंबर 1906 को पंजाब के लायलपुर में एक जमींदार परिवार में हुआ था। पृथ्वीराज कपूर को बचपन से ही रंगमंच का बहुत शौक था। लेकिन शायद ही उन्होंने बचपन में सोचा होगा कि एक दिन उनका नाम ‘थिएटर के बादशाह’ के रूप में लिया जाएगा। फिल्म ‘मुगल-ए-आजम’ में बादशाह अकबर के किरदार को अमर बनाने वाले पृथ्वीराज कपूर आज भी हिंदी सिनेमा के चाहने वालों के दिलों में बसे हुए हैं।
बचपन से था थिएटर से प्यार
पृथ्वीराज कपूर की थिएटर के प्रति दीवानगी बचपन से ही थी। सिर्फ 18 साल की उम्र में शादी हो गई थी। तीन-तीन बच्चे हो गए। लेकिन किसी बच्चे की तरह पृथ्वीराज कपूर का एक्टिंग के प्रति शौक बढ़ता ही जा रहा था। आखिरकार पृथ्वीराज 1928 में अपने तीन बच्चों को छोड़कर पेशावर से मुंबई आ गए। यहां वह इम्पीरीयल फिल्म कंपनी से जुड़ गए। इस कंपनी से जुड़ने के बाद उन्होंने फिल्मों में छोटे-छोटे किरदार निभाए। साल 1929 में पृथ्वीराज को अपनी तीसरी फिल्म ‘सिनेमा गर्ल’ में पहली बार लीड रोल करने का मौका मिला।
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भारत की पहली बोलती फिल्म में भी थे पृथ्वीराज
साल 1931 में भारत की पहली बोलती फिल्म ‘आलम आरा’ आई थी। इस फिल्म में पृथ्वीराज ने भी काम किया था। पृथ्वीराज ‘दो धारी तलवार’, ‘शेर ए पंजाब’ और ‘प्रिंस राजकुमार’ जैसी 9 साइलेंट फिल्मों में काम कर चुके हैं।
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ऐसे बनाई अपनी थिएटर कपंनी
पृथवीराज को थिएटर से बेहद लगाव था। यही वजह थी कि वह सन् 1931 में शेक्सपीयर के नाटक पेश करने वाली ‘ग्रांट एंडरसन थिएटर कंपनी’ से जुड़ गए। उसके बाद साल 1944 में उन्होंने अपनी सारी जमा पूंजी पृथ्वी थिएटर की स्थापना में लगा दी। बताते हैं कि रंगमंच के लिए यह पृथ्वीराज कपूर का जुनून ही था कि अपने थिएटर की स्थापना के लिए उन्होंनेने गमछा फैलाकर लोगों से पैसे मांगे थे। इलाहाबाद में महाकुंभ के दौरान शो करने के बाद पृथ्वीराज खुद गेट पर खड़े होकर गमछा फैलाते थे और लोग उसमें पैसे डालते थे। इसी तरह उन्होंने अपने पृथ्वी थिएटर की शुरुआत की।
ये रहीं यादगार फिल्में
पृथ्वीराज कपूर ने फिल्म ‘मुगल-ए-आजम’ में जो शंहशाह जलालुद्दीन अकबर को किरदार निभाया, उसे शायद ही कभी भुलाया जा सकता है। इसके अलावा फिल्म ‘आवारा’ भी उनकी बेहतरीन फिल्मों में शुमार की जाती है। ‘विद्यापति’, ‘सिकंदर’, ‘दहेज’, ‘जिंदगी’, ‘आसमान महल’ और ‘तीन बहूरानियां’ भी उनकी यादगार फिल्में हैं।
पृथ्वीराज कपूर ने फिल्म ‘पैसा’ नामक नाटक पर फिल्म बनाई थी। इसके निर्देशन के दौरान उनका वोकल कोर्ड खराब हो गया था और उनकी आवाज पहले जैसी दमदार नहीं रह गई थी, जिसके बाद उन्होंने पृथ्वी थिएटर बंद कर दिया था। साल 1969 में उन्हें पद्म भूषण अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। साल 1972 में उनकी मृत्यु के बाद उन्हें दादा साहब फाल्के पुरस्कार से भी नवाज़ा गया था।