कभी अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित नहीं हो पाएगा मसूद

आतंकवाद के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय मुहिम को भी चीन के कदम से बहुत झटका लगने वाला है। तमाम आतंकी घटनाओं को अंजाम देने वाले आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र का प्रतिबंध लगाने की भारतीय कोशिशों को चीन हमेशा के लिए नाकाम कर सकता है।

पिछले एक वर्ष के भीतर चीन दो बार वीटो कर मसूद अजहर को प्रतिबंध से बचा चुका है और ऐसी उम्मीद है कि इस महीने के अंत तक चीन इस प्रस्ताव को हमेशा के लिए रद करने के लिए वीटो करेगा। भारत सरकार को भी इस बात का अंदेशा हो गया है और विदेश मंत्रालय लगभग मान चुका है कि अजहर पर नकेल कसने की उसकी लड़ाई कई वर्ष पीछे चली जाएगी।

विदेश मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि यह पहली बार नहीं है कि चीन मसूद के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव 1267 के तहत प्रतिबंध लगाने की कोशिशों को रद करवाएगा। इसके पहले वर्ष 2009 में भी चीन ने ऐसा ही किया था। तब चीन के साथ ब्रिटेन न भी तकनीकी आधार पर भारत के प्रस्ताव को हमेशा के लिए खारिज करवा दिया था।

उसके बाद भारत को मसूद अजहर के खिलाफ प्रस्ताव लाने में छह वर्ष लग गये। पिछले एक वर्ष से भारत ने चीन के राष्ट्रपति व विदेश मंत्री से लेकर उसके राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार तक के स्तर पर अजहर पर प्रतिबंध लगाने की जरुरत पर समझाने की कोशिश की है। पीएम नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी चिनफिंग की द्विपक्षीय वार्ता में तीन बार इस बारे में वार्ता हो चुकी है।

हालांकि इस दौरान चीन के रुख में कोई बदलाव नहीं आया। चीन के विदेश मंत्रालय ने सोमवार को कहा है कि वह इस मामले पर भारत के साथ बातचीत करता रहेगा लेकिन संयुक्त राष्ट्र के तहत प्रतिबंध लगाने को लेकर उसके मत में कोई बदलाव नहीं आया है।

दरअसल, संयुक्त राष्ट्र के जिस नियम के तहत भारत मसूद पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश कर रहा है उसके तहत एक बार प्रस्ताव के गिर जाने के तीन महीने बाद ही उस पर दोबारा वोटिंग हो सकती है। ऐसा दो बार हो चुका है। तीसरी बार प्रस्ताव को लेकर वीटो करने वाले देश के पास यह अधिकार होता है कि वह इसे हमेशा के लिए रद करवा दे।

भारत मानता है कि चीन का यह रुख आतंकवाद के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय लड़ाई को कमजोर करेगा। वर्ष 2009 के बाद से अभी तक जैश व इसके मुखिया मौलाना मसूद अजहर की ताकत काफी बढ़ चुकी है। सूत्र बताते हैं कि वर्ष 2009 तक मसूद को पाकिस्तान ने छिपा कर रखा लेकिन जब यह तय हो गया कि अब उस पर लंबे समय तक अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध नहीं लगेगा तो उसने बाहर आना शुरू किया।

यही नहीं उसके बाद जैश की गतिविधियां भी जोर पकड़ने लगीं। बाद में पाक सेना से समर्थित आतंकी संगठन लश्कर के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लग गया तो उसकी जगह अब जैश को खड़ा किया जा चुका है। इसे भारत के पठानकोट व उड़ी सैन्य स्थानों पर हमले के लिए जिम्मेदार माना जाता है।

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