मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना के विफल होने के बाद अब सरकारी विभागों ने उनमें बदलाव कर लागू करने की कवायद शुरू की है। ताजा मामला कृषि विभाग से जुड़ी मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना का सामने आया है।
बजट घोषणा के तहत इस योजना में खेतों और बागों को लावारिस व जंगली पशुओं के हमले और नुकसान से बचाने के लिए विद्युत या सौर ऊर्जा वाली बाड़ लगाने पर सरकार द्वारा किसान बागवान को लागत का साठ प्रतिशत वित्तीय सहायता देने की व्यवस्था की गई थी।
लेकिन योजना लागू होने के बाद से अब तक एक भी किसान या बागवान ने वित्तीय सहायता लेने के लिए आवेदन ही नहीं किया। चूंकि मुख्यमंत्री ने खुद बजट में इस योजना का एलान किया था।
इसके तहत अब कृषि अधिकारी गांवों में जाकर किसानों बागवानों को संयुक्त रूप से बाड़ लगाने के लिए प्रेरित करेंगे। ऐसा होने से ज्यादा इलाका कम लागत में सुरक्षित हो सकेगा। इसके लिए पंचायत स्तर पर किसानों के साथ बैठक करने की तैयारी है।
वित्तीय सहायता को 90:10 के अनुपात में करने की तैयारी
कृषि मंत्री सुजान सिंह पठानिया ने कहा कि चूंकि बाड़ लगाने के काम में काफी ज्यादा खर्च होता है। ऐसे में साठ प्रतिशत सहयोग राशि से भी किसानों को लाभ नहीं मिल रहा। बताया कि विभाग इस योजना के तहत मिलने वाली वित्तीय योजना को 60:40 के अनुपात से बदलकर 90:10 के अनुपात में करने पर विचार कर रहा है।
इसमें सरकार पूरे खर्च का 90 प्रतिशत अनुदान देगी और दस प्रतिशत किसान को खर्च करना होगा। पठानिया ने कहा कि फिलहाल इस पर कैबिनेट में चर्चा की जाएगी और अगर जरूरत लगी तो अनुदान व्यवस्था में बदलाव किया जाएगा।
अपने स्तर पर किया आंकलन
योजना में वित्तीय सहायता लेने के लिए किसानों के न आने पर कृषि विभाग ने अपने स्तर पर इसका असेसमेंट किया। पता चला कि बाड़ लगाने में काफी व्यय होता है, जिसके चलते किसान न तो बाड़ लगा रहे और न ही वित्तीय सहायता मांग रहे हैं। इसी के बाद अब विभाग ने अपनी रणनीति और योजना में कुछ बदलाव करने की कवायद शुरू की है।