क्या आपको भी है ये परेशानी, करे ये उपाय

वमन
वमन की स्थिति में तुलसी पत्र स्वरस मधु के साथ प्रातःकाल व जब आवश्यकता हो पिलाते हैं। पाचन शक्ति बढ़ाने के लिए, अपच रोगों के लिए तथा बालकों के यकृत प्लीहा संबंधी रोगों के लिए तुलसी के पत्रों का फाण्ट पिलाते हैं। छोटी इलायची, अदरक का रस व तुलसी के पत्र का स्वरस मिलाकर देने पर उल्टी की स्थिति को शान्त करते हैं। दस्त लगने पर तुलसी पत्र भुने जीरे के साथ मिलाकर (10 तुलसीदल + 1 माशा जीरा) शहद के साथ दिन में तीन बार चाटने से लाभ मिलता है।
तुलसी के चार-पांच ग्राम बीजों का मिश्री युक्त शर्बत पीने से आंव ठीक रहता है। तुलसी के पत्तों को चाय की तरह पानी में उबाल कर पीने से आंव (पेचिस) ठीक होती है। अपच में मंजरी को काले नमक के साथ देते हैं। बवासीर रोग में तुलसी पत्र स्वरस मुँह से लेने पर तथा स्थानीय लेप रूप में तुरन्त लाभ करता है। अर्श में इसी चूर्ण को दही के साथ भी दिया जाता है।
संक्रामक अतिसार
बालकों के संक्रामक अतिसार रोगों में तुलसी के बीज पीसकर गौ दुग्ध में मिलाकर पीने से लाभ होता है। प्रवाहिका में मूत्र स्वरस 10 ग्राम प्रातः लेने पर रोग आगे नहीं बढ़ता। कृमि रोगों में तुलसी के पत्रों का फाण्ट सेवन करने से कृमिजन्य सभी उपद्रव शान्त हो जाते हैं। उदर शूल में तुलसी दलों को मिश्री के साथ देते हैं तथा संग्रहणी में बीज चूर्ण 3 ग्राम सुबह-शाम मिश्री के साथ। बच्चों में बुखार, खांसी और उल्टी जैसी सामान्य समस्याओं में तुलसी बहुत फ़ायदेमंद है।
सिर का दर्द
सिर के दर्द में प्रातः काल और शाम को एक चौथाई चम्मच भर तुलसी के पत्तों का रस, एक चम्मच शुद्ध शहद के साथ नित्य लेने से 15 दिनों में रोग पूरी तरह ठीक हो सकता है। तुलसी का काढ़ा पीने से सिर के दर्द में आराम मिलता है। मेधावर्धन हेतु तुलसी के पाँच पत्ते जल के साथ प्रतिदिन प्रातः निगलना चाहिए। असाध्य शिरोशूल में तुलसी पत्र रस कपूर मिलाकर सिर पर लेप करते हैं, तुरन्त आराम मिलता है।
आंखों की समस्या
तुलसी का रस आँखों के दर्द, रात्रि अंधता जो सामान्यतः विटामिन ‘ए‘ की कमी से होता है के लिए अत्यंत लाभदायक है। आंखों की जलन में तुलसी का अर्क बहुत कारगर साबित होता है। रात में रोजाना श्यामा तुलसी के अर्क को दो बूंद आंखों में डालना चाहिए। श्याम तुलसी (काली तुलसी) पत्तों का दो-दो बूंद रस 14 दिनों तक आंखों में डालने से रतौंधी ठीक होती है। आंखों का पीलापन ठीक होता है। आंखों की लाली दूर करता है। तुलसी के पत्तों का रस काजल की तरह आंख में लगाने से आंख की
रोशनी बढ़ती है।
तुलसी के हरे पत्तों का रस (बिना पानी में डाले) गर्म करके सुबह शाम कान में डालें, कम सुनना, कान का बहना, दर्द सब ठीक हो जाता है। तुलसी के रस में कपूर मिलाकर हल्का गर्म करके कान में डालने से कान का दर्द तुरंत ठीक हो जाता है। कनपटी के दर्द में तुलसी की पत्तियों का रस मलने से बहुत फ़ायदा होता है।
मुंह का संक्रमण
अल्सर और मुंह के अन्य संक्रमण में तुलसी की पत्तियां फ़ायदेमंद साबित होती हैं। रोजाना तुलसी की कुछ पत्तियों को चबाने से मुंह का संक्रमण दूर हो जाता है। तुलसी की सूखी पत्तियों को सरसों के तेल में मिलाकर दांत साफ़ करने से सांसों की दुर्गध चली जाती है। पायरिया जैसी समस्या में भी यह ख़ासा कारगर साबित होती है। मुख रोगों व छालों में तुलसी क्वाथ से कुल्ला करें एवं दँतशूल में तुलसी की जड़ का क्वाथ बनाकर उसका कुल्ला करें।
संधिशोध में अथवा गठिया के दर्द में तुलसी के पंचाग (जड़, पत्ती, डंठल, फल, बीज) का चूर्ण बनाएं। बराबर का पुराना गुड़ मिलाकर 12-12 ग्राम की गोलियां बना लें। सुबह शाम गौ दूध या बकरी के दूध से 1-12 गोली खालें। गठिया व जोड़ों का दर्द में लाभ होता है। सियाटिका रोग में तुलसी पत्र क्वाथ से रोग ग्रस्त वात नाड़ी का स्वेदन करते हैं। तुलसी व अदरक का रस 5-5 ग्राम की मात्रा मे सेवन करने से थोड़े ही दिनों में हड्डी में गैस की समस्या हल हो जाती है। जोड़ों में दर्द हो तो तुलसी का रस पियें। तुलसी के सेवन से टूटी हड्डियां शीघ्रता से जुड़ जाती हैं।
गुर्दे का रोग
मूत्रकृच्छ (डिसयूरिया-पेशाब में जलन, कठिनाई) में तुलसी बीज 6 ग्राम रात्रि 150 ग्राम जल में भिगोकर इस जल का प्रातः प्रयोग करते हैं। तुलसी स्वरस को मिश्री के साथ सुबह-शाम लेने से भी जलन में आराम मिलता है। तुलसी गुर्दे को मज़बूत बनाती है। किडनी की पथरी में तुलसी की पत्तियों को उबालकर बनाया गया जूस (तुलसी के अर्क) शहद के साथ नियमित 6 माह सेवन करने से पथरी मूत्र मार्ग से बाहर निकल जाता है।
धातु दौर्बल्य में तुलसी के बीज एक माशा, गाय के दूध के साथ प्रातः एवं रात्रि को देते हैं । ऐसा अनुभव है कि नपुसंकता में तुलसी बीज चूर्ण अथवा मूल सम भाग में पुराने गुड़ के साथ मिलाने पर तथा नित्य डेढ़ से तीन ग्राम की मात्रा में गाय के दूध के साथ 5-6 सप्ताह तक लेने से लाभ होता है।
स्त्री रोग
यदि मासिक धर्म ठीक से नहीं आता तो एक ग्लास पानी में तुलसी बीज को उबाले, आधा रह जाए तो इस काढ़े को पी जाएं, मासिक धर्म खुलकर होगा। मासिक धर्म के दौरान यदि कमर में दर्द भी हो रहा हो तो एक चम्मच तुलसी का रस लें। प्रदर रोग में अशोक पत्र के स्वरस के साथ मासिक धर्म की पीड़ा में बार-बार देने से लाभ होता है। तुलसी का रस 10 ग्राम चावल के माड़ के साथ पिए सात दिन। प्रदर रोग ठीक होगा। इस दौरान दूध भात ही खाएं। तुलसी के बीज पानी में रात को भिगो दें। सुबह मसलकर छानकर मिश्री में मिलाकर पी जाएं। प्रदर रोग ठीक होगा।
विविध-विभिन्न प्रकार अर्बुदों में (कैंसर) तुलसी के प्रयोग किए गए हैं। 25 या इससे अधिक ताजे पत्ते पीसकर नित्य पिलाने पर उनकी वृद्धि की गति रुकती है। इस कथन की सत्यता की परीक्षा हेतु शोध अनिवार्य है।
हृदय रोग
जाड़ों में तुलसी के दस पत्ते, पांच काली मिर्च और चार बादाम गिरी सबको पीसकर आधा गिलास पानी में एक चम्मच शहद के साथ लेने से सभी प्रकार के हृदय रोग ठीक हो जाते हैं। तुलसी की 4-5 पत्तियां, नीम की दो पत्ती के रस को 2-4 चम्मच पानी में घोट कर पांच-सात दिन प्रातः ख़ाली पेट सेवन करें, उच्च रक्तचाप ठीक होता है। दिल की बीमारी में यह वरदान साबित होती है यह ख़ून में कोलेस्ट्राल को नियंत्रित करता है।

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