अब खंगाले जा रहे क्षेत्रीय दलों के बैंक खाते…

शुक्रवार को 500-1000 के पुराने नोट बदलने की मियाद खत्म होगी। डेडलाइन समाप्त होने के बाद जांच व सतर्कता एजेंसियों की निगाह झारखंड की क्षेत्रीय पार्टियों पर होगी।

 

रांची। शुक्रवार को 500-1000 के पुराने नोट बदलने की मियाद खत्म होगी। डेडलाइन समाप्त होने के बाद जांच व सतर्कता एजेंसियों की निगाह झारखंड की क्षेत्रीय पार्टियों पर होगी। इसमें झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) और आजसू पार्टी प्रमुख हैं। दरअसल बहुजन समाज पार्टी के बैंक खाते में 100 करोड़ से ज्यादा पुराने नोट जमा होने के बाद जांच एजेंसियों के कान खड़े हुए हैं। ऐसे में क्षेत्रीय दलों के बैंक खातों को खंगाला जाएगा। हालांकि झारखंड मुक्ति मोर्चा का दावा है कि नोटबंदी के बाद से पार्टी ने बैंक खाते में ट्रांजेक्शन नहीं किया है। पार्टी की बैंक आफ इंडिया की बरियातू, रांची शाखा व स्टेट बैंक आफ इंडिया की डोरंडा, रांची शाखा में एक-एक एकाउंट है।

झारखंड मुक्ति मोर्चा के महासचिव सुप्रियो भïट्टाचार्य के मुताबिक बैंक खाता अपडेट है और जांच एजेंसियां ब्योरा लेने को स्वतंत्र हैं। अगर एजेंसियों को आवश्यकता होगी तो पार्टी के दोनों बैंक एकाउंट का स्टेटमेंट भी दिया जा सकता है। बकौल सुप्रियो, उनकी पार्टी कैडर आधारित है। दल के विधायक और सांसद अपने वेतन से पार्टी के कोष में अंशदान देते हैं। विधायकों को प्रतिमाह बतौर अंशदान 10 हजार रुपये और सांसदों को 25 हजार रुपये अंशदान देना है। झामुमो के विधायकों की संख्या 19 और सांसदों की संख्या तीन है। पार्टी ने चुनाव आयोग को आय-व्यय और देनदारी का पूरा ब्योरा दे रखा है। झारखंड मुक्ति मोर्चा को औसतन सालाना लगभग 65 लाख का डोनेशन मिलता है।

आजसू ने जमा कराए चार लाख के पुराने नोट
राज्य में सत्ताधारी भाजपा की सहयोगी दल आजसू पार्टी ने नोटबंदी के बाद चार लाख रुपये के पुराने नोट जमा कराए हैं। ये पार्टी को चंदे के एवज में मिले थे। नोटबंदी के तत्काल बाद यह राशि बैंक खाते में जमा करा दी गई थी। आजसू पार्टी का यूनियन बैंक आफ इंडिया के अपर बाजार, रांची शाखा में बैंक एकाउंट है। हालांकि चुनाव आयोग के पास आजसू पार्टी के आय-व्यय का पूरा ब्योरा अपडेट नहीं है। चुनाव आयोग के पास चार वर्ष पूर्व तक का आंकड़ा पार्टी ने उपलब्ध कराया है। निबंधित क्षेत्रीय पार्टी होने के नाते चुनाव आयोग को हर वर्ष आय-व्यय का ब्योरा देना आवश्यक है। आयोग को चुनावी खर्च का ब्योरा 2015 में पार्टी की ओर से भेजा गया है लेकिन उसमें बैंक खाते के बारे में जानकारी नहीं दी गई है अलबत्ता यह अवश्य बताया गया है कि चुनाव के दौरान पार्टी ने लगभग 25 लाख रुपये खर्च किए।

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