ज्यादा धान बेचा तो गरीबी रेखा के राशन कार्ड हो जाएंगे निरस्त

जगदलपुर। छत्तीसगढ़ सरकार के नए फरमान ने किसानों की रातों की नींद उड़ा दी है जिसमें साफ इंगित किया गया है कि धान उपार्जन केन्द्रों में यदि नियत मात्रा से ज्यादा धान बेचा गया तो किसानों के गरीबी रेखा के राशन कार्ड निरस्त हो जाएंगे और उन्हें गरीब नहीं माना जाएगा। पिछले साल पड़े सूखे के बाद इस साल बेहतर मानसून के कारण बस्तर संभाग में धान का बफर उत्पादन हुआ है पर नोटबंदी के बाद बाजार में नगदी की किल्लत के साथ ही किसान अब इस धर्म संकट में हैं कि आखिर वे अपना धान बेचें तो कहां बेचें।

90 फीसदी किसान गरीब

खाद्य विभाग के सूत्रों के अनुसार बस्तर संभाग के गांवों में 90 फीसदी किसानों के पास बीपीएल राशन कार्ड हैं जिसके माध्यम से वे शासन के सस्ते अनाज सहित गरीबी रेखा के नीचे गुजर-बसर करने वाले परिवारों के लिए शासन द्वारा संचालित कई अन्य जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठा रहे हैं। राशन कार्ड निरस्त होने का सीधा मतलब गरीबी रेखा से नाम कटना जिसके कारण किसानों को बीपीएल श्रेणी के लिए शासन द्वारा संचालित तमाम जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ भविष्य में नहीं मिल पाएगा।

धान बेचकर फंसे

छत्तीसगढ़ सरकार का यह फरमान इसी हफ्ते जारी हुआ है और दो दिन पूर्व ही इसे खरीदी केन्द्रों में चस्पा किया गया है। जबकि शासकीय समर्थन मूल्य पर धान उपार्जन का काम 16 नवम्बर से प्रारंभ किया गया है जो आगामी 31 जनवरी तक चलेगा। बस्तर संभाग के बस्तर, बीजापुर, दंतेवाड़ा, कांकेर, कोण्डागांव, नारायणपुर तथा सुकमा के 257 शासकीय धान उपार्जन केन्द्र में 22 दिसम्बर की स्थिति में कुल 21 लाख 63 हजार 51 क्विंटल धान की खरीदी हो चुकी है जिसका शासकीय समर्थन मूल्य 3 अरब 24 करोड़ 55 लाख 36 हजार 621 रुपए है।

शासकीय फरमान के जारी होने के पहले जिन किसानों ने नियत मात्रा से अधिक धान विक्रय किया है अब उनके सिर पर गरीबी रेखा से नाम खारिज होने के साथ ही राशन कार्ड निरस्त होने की तलवार लटक रही है। ज्ञात हो कि समर्थन मूल्य पर धान विक्रय के लिए संभाग के एक लाख तीन हजार किसानों ने पंजीयन कराया है जिसमें से 60 प्रतिशत किसान लघु सीमांत हैं जिनके पास पांच एकड़ से कम जमीन है। पंजीकृत किसानों में से अब तक तीस फीसदी किसानों ने ही धान बेचा है। किसान प्रति एकड़ 15 क्विंटल के मान से ही फसल बेच सकते हैं।

क्या है फरमान

खाद्य नागरिक आपूति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग के संचालक के आदेशानुसार धान उपार्जन केन्द्रों में लगाए गए सूचना में कहा गया है कि गैर अनुसूचित क्षेत्र 150 क्विंटल से ज्यादा धान बेचने वाले और सिंचित भूस्वामी किसी भी प्रकार के राशन कार्ड के लिए पात्र नहीं होंगे। 75 क्विंटल से अधिक धान बेचने वाले भू-स्वामी किसान को लघु-सीमांत किसान के आधार पर जारी प्राथमिकता वाले नीले राशन कार्ड का पात्र नहीं माना जाएगा।

भूमिहीन कृषि मजदूर के आधार पर जारी प्राथमिकता वाले नीले राशनकार्डधारी स्वयं की भूमि पर धान बेचना पाए जाने पर उन्हें प्राथमिकता वाले नीले राशन कार्ड पात्र मान्य नहीं होंगे। उपरोक्त तथ्यों के आधार पर वर्तमान में जारी ऐसे राशनकार्ड राज्य शासन द्वारा निरस्त किया जाएगा।

किसान टारगेट में

जिला पंचायत के पूर्व कृषि सभापति एवं टलनार निवासी उन्नत किसान शेरसिंह सेठिया ने कहा कि सरकार का यह फरमान बस्तर के हजारों किसानों के साथ सीधा छल है। घाटे से उबरने के लिए किसान जहां धान का समर्थन मूल्य 2100 रुपए प्रति क्विंटल के साथ 300 रुपए बोनस देने की मांग कर रहे हैं वहीं सरकार नए फरमान जारी कर किसानों को समर्थन मूल्य से वंचित रखने का प्रयास कर रही है।

राजनगर के किसान शिवराम बिसाई ने नोटबंदी के फैसले के बाद मंडी में नकदी में धान 1000 से 1100 रुपए प्रति क्विंटल में धान का कोई लेवाल नहीं है। इस फरमान के बाद किसान मंडी में भी उपज के बदले चेक लेने से कतरा रहे हैं। किसान धर्मसंकट में हैं कि अपना धान बेचें तो कैसे बेचें।

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