गुमला। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वितीय वंशीधर तिवारी की अदालत ने 30 जनवरी 2008 को हुए दोहरे हत्याकांड को रेयरेस्ट आफ रेयर मानते हुए में शनिवार को हत्या के दोषी मनिया उरांव को फांसी की सजा सुनाई है।
मनिया उरांव बिशुनपुर प्रखंड के चेड़ा गांव का रहने वाला है। उस पर गांव के ही बिरसई उरांव व रमेश उरांव (दोनों चचेरे भाई) की धारदार हथियार से हत्या कर शव को जलाने का आरोप था।
मामले के अनुसंधानकर्ता हरीश प्रसाद निराला द्वारा अदालत में दाखिल कि ये गये आरोप पत्र के अनुसार 30 जनवरी 2008 की शाम हत्यारोपी मनिया उरांव बिरसई व रमेश उरांव को अपने घर पर खाना खिलाने की बात कहकर ले गया था। अगले दिन सुबह में आरोपी के घर से धुआं उठता देख ग्रामीण वहां जमा हो गए एवं आरोपी को आवाज देकर घर का दरवाजा खोलने को कहा। दरवाजा नहीं खोलने पर ग्रामीणों ने इसकी सूचना पुलिस को दी। सूचना के बाद पुलिस आरोपी के घर पहुंची एवं घर का दरवाजा तोड़कर अंदर घुसी। वहां देखा कि कमरे में रखे धान के ढेर पर दोनों मृत व्यक्तियों का शरीर जल रहा था और उसी के बगल में आरोपी बैठा हुआ था। पुलिस ने शव को अपने कब्जे में कर आरोपी को मौके पर ही गिरफ्तार कर लिया था।
इस मामले की आठ वर्षों तक हुई सुनवाई के दौरान हत्या के कारणों का स्पष्ट खुलासा नहीं हो सका। मामले में कुल 12 लोगों ने अपना बयान अदालत में दर्ज कराया। हत्यारोपी के खिलाफ सभी गवाहों द्वारा दी गई गवाही के आधार पर कोर्ट ने मनिया को दोषी पाते हुए धारा 302 के तहत फांसी की सजा सुनाई।
मुकदमे की सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता मनरखन गोप व अभियोजन पक्ष की ओर से लोक अभियोजक मिनी लकड़ा और अपर लोक अभियोजक निजाम चौधरी ने बहस की।