नई दिल्ली। इस साल देश में गेहूं के मामले में सरकार की सारी रणनीतियां फेल होती दिख रही हैं। शुरूआत में गेहूं के उत्पादन को लेकर हवा-हवाई आंकड़े जारी इंपोर्ट जैसी स्थिति से इंकार किया गया। लेकिन, बाद में बढ़ती कीमतों और सीमित सप्लाई के चलते इंपोर्ट ड्यूटी को घटाना पड़ा। हालात अब भी जस के तस बने हुए हैं। खुले बाजार में गेहूं की कीमतें दशक के रिकार्ड स्तर पर पहुंच गई हैं। हालांकि, अभी तक सरकार की कोई नई रणनीति सामने नहीं आई है।
2100 रुपए प्रति क्विंटल से उपर पहुंची कीमतें
सरकार के तमाम प्रयासों के दावों के बीच आज गेहूं की कीमतें दशकों के रिकार्ड स्तर पर 2000 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच गई हैं। हालांकि, आने वाले समय में सरकार रिकॉर्ड गेहूं उत्पादन की उम्मीद लगा रही है। लेकिन, फिलहाल बाजार पर इसका कोई असर नहीं दिख रहा है। बुधवार को विभिन्न शहरों में गेहूं कीमतें 2100 से 2105 रुपए प्रति क्विंटल के बीच रहीं। इसका कारण फ्लोर मिलों के द्वारा गेहूं खरीद में बढ़ोतरी बताया जा रहा है। इधर, एफसीआई के अधिकारियों के मुताबिक सरकार गेहूं की कीमतों को काबू करने को पूरे प्रयास कर रही है। बफर स्टॉक के गेहूं को भी अब बिक्री के लिए जारी किया जा सकता है। इसके अलावा इंपोर्ट ड्यूटी आदि के विषय में केंद्र सरकार को ही निर्णय लेना है।
कम खरीद ने खोल दी थी दावों की पोल
सरकार ने भारी भरकम आंकड़े तो पेश कर दिए लेकिन, शुरूआती समय मे ही एफसीआई की खरीद ने आंकड़ों की पेाल खोलनी शुरू कर दी। सरकार ने इस साल गेहूं खरीद का लक्ष्य 3.05 करोड़ टन रखा था। लेकिन, इसके विपरित गेहूं खरीद सिर्फ 2.2 करोड़ टन ही हो पाई। इसके बाद जब गेहूं के दाम बढ़ने के आसार नजर आए तो एफसीआई ने ओपन मार्केट में गेहूं खरीद पर कैप भी लगा दिया है। साप्ताहिक खरीद 5000 टन की तुलना में सिर्फ 2000 टन ही की जा सकती है। यही नहीं, अब इसे सप्ताह के बजाय 10 दिन के अंतराल पर किए जाने की बात की जा रही है।
11 लाख टन गेहूं हो चुका है आयात
कीमतें काबू से बाहर जाते देख फेस्टिव सीजन को ध्यान में रखते हुए इंपोर्ट ड्यूटी को घटा कर कर 25 फीसदी के स्थान पर 10 फीसदी कर दिया। हालांकि, फ्लोर इंडस्ट्रीज पहले से ही गेहूं उत्पादन में भारी-भरकम कमी का अंदाजा लगाए हुए थी। सो उन्होंने शुरूआत से ही खासकर दक्षिण भारतीय मिलों ने गेहूं इंपोर्ट जारी रखा था। इस बीच जब ओपन मार्केट सेल स्कीम से गेहूं कम मिला तो उत्तर भारतीय फ्लोर मिलों ने भी इंपोर्ट शुरू कर दिया। इसके बाद जब इंपोर्ट ड्यूटी घटी तो सौदे तेज हो गए। इंडियन पल्सेस एंड ग्रेन एसोसिएशन (इपगा) के अध्यक्ष प्रवीन डोंगरे ने बताया कि अब तक लगभग 11 लाख टन गेहूं भारत पहुंच चुका है।
अग्रिम अनुमान ने बिगाड़ा था खेल
गेहूं उत्पादन के मामले में सरकार के अग्रिम अनुमान भी सवालों में बने रहे। शुरू के दो अनुमानों में सरकार ने बढ़-चढ़कर आंकड़े प्रस्तुत किए। पहले और दूसरे एडवांस एस्टीमेट में सरकार ने गेहूं प्रोडक्शन का अनुमान 9.38 करोड़ टन बताया। इसके बाद तीसरे अनुमान में इसे और बढ़ाकर 9.44 करोड़ कर दिया गया। लेकिन, अगस्त की शुरूआत में जारी चौथे अनुमान में सरकार ने गेहूं उत्पादन का आंकड़ा पहले और दूसरे से घटाकर 9.35 करोड़ कर दिया। ऐसे में सरकार के हवा-हवाई आंकड़ों ने फ्लोर इंडस्ट्री में गफलत पैदा कर दी। जबकि, प्राइवेट फ्लोर मिलें इस साल गेहूं उत्पादन को सिर्फ 8.5 करोड़ टन ही मानकर चल रही हैं।
गेहूं उत्पादन के मामले में सरकार के अग्रिम अनुमान भी सवालों में बने रहे। शुरू के दो अनुमानों में सरकार ने बढ़-चढ़कर आंकड़े प्रस्तुत किए। पहले और दूसरे एडवांस एस्टीमेट में सरकार ने गेहूं प्रोडक्शन का अनुमान 9.38 करोड़ टन बताया। इसके बाद तीसरे अनुमान में इसे और बढ़ाकर 9.44 करोड़ कर दिया गया। लेकिन, अगस्त की शुरूआत में जारी चौथे अनुमान में सरकार ने गेहूं उत्पादन का आंकड़ा पहले और दूसरे से घटाकर 9.35 करोड़ कर दिया। ऐसे में सरकार के हवा-हवाई आंकड़ों ने फ्लोर इंडस्ट्री में गफलत पैदा कर दी। जबकि, प्राइवेट फ्लोर मिलें इस साल गेहूं उत्पादन को सिर्फ 8.5 करोड़ टन ही मानकर चल रही हैं।