गैंग में होते रईसजादे और दबंग बनता लीडर, आखिर पटना में क्यों बढ़ रहे एेसे अपराध? जानिए

बाइकर्स गैंग पटना में कानून-व्यवस्था के लिए चुनौती बन गए हैं। आखिर कम उम्र के युवा और किशोर क्यों कर रहे हैं एेसे खतरनाक अपराध, जानिए इस रिपोर्ट में…

 

पटना। राजधानी में बाइकर्स गैंग ने उत्पात मचा रखा है। एक लड़के को नंगा लटकाकर पीटने की घटना अभी चर्चा में ही है कि गुरुवार को गैंग के शोहदों ने छेड़खानी का विरोध करने पर एक लड़की के बाल पकड़कर उसे सड़क पर 50 मीटर तक घसीटा। घटना सरेआम पुलिसकर्मियों के सामने हुई।

दरअसल, नई उम्र के ये बिगड़ैल बच्चे राजधानी के कानून-व्यवस्था के लिए चुनौती बनकर उभरे हैं। इनके कई गैंग हैं, जो सिस्टेमेटिक तरीके से चल रहे हैं। गैंग के सदस्य सोशल मीडिया के सहारे एक-दूसरे से हमेशा जुड़े रहते हैं। दूसरों पर धौंस जमाने व गर्लफ्रेंड को इंप्रेस करने के चक्कर में वे अपराध के दलदल में धीरे-धीरे धंसते चले जाते हैं। राजधानी में युवाओं और किशोरों के एेसे कई गैंग चल रहे हैं।

दो युवकों को किडनैप व नंगाकर पीटा

अभी कुछ दिनों पहले ही बाइकर्स गैंग के ही 8-10 बदमाशों ने दो युवकों को किडनैप कर उन्हें नंगा कर उल्टा लटका दिया और हॉकी स्टिक, लोहे की रॉड, लाठी-डंडे से पिटाई खूब पिटाई की और 3000 हजार नकद और मोबाइल भी लूट लिए। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो गया, जो गैंग की क्रूरता की दास्तान कहने के लिए पर्याप्त है।

वर्चस्व की लड़ाई में हत्या

बीते साल 17 मार्च को शास्त्रीनगर थाना क्षेत्र समनपुरा निवासी दानिश हुसैन की लाठी डंडे से पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी। पुलिस की जांच में मालूम हुआ कि उसकी हत्या बाइकर्स गैंग ने की थी। हालांकि, दानिश भी उसी गैंग का सक्रिय सदस्य था। वर्चस्व की लड़ाई में उसकी हत्या हो गई थी।

गर्लफ्रेंड पर खर्च के लिए करते हैं अपराध

सड़क पर बाइक की रेस, प्रेशर हॉर्न के बीच लहरिया ड्राइविंग तथा खतरनाक स्टंट। मारपीट, छिनतई, लूट, चोरी और अब तो मर्डर भी। पटना में बाइकर्स गैंग का सफर कुछ ऐसा ही चल रहा है। सोशल मीडिया के सहारे एक-दूसरे से जुड़े गिरोह में शामिल नई उम्र के लड़के मस्ती व गर्लफ्रैंड पर खर्च करने के लिए लूटपाट व हत्याएं तक करने लगे हैं।

बड़े अपराध को भी दे रहे अंजाम

कल तक मारपीट व छिनतई जैसे छोटे-मोटे अपराध करने वाले बाइकर्स गैंग के सदस्य अब लूट व हत्या जैसे अपराध की ओर मुड़ रहे हैं। दिक्कत यह है कि बाइकर्स गैंग के ऐसे यंगस्टर गैंगस्टर बन रहे हैं, जिनका पुलिस के पास भी कोई रिकॉर्ड नही है।

गैंग में होते रईसजादे, दबंग बनता लीडर

बाइकर्स गैंग के ज्यादातर सदस्य छात्र और रइसजादे हैं। सभी के पास अपनी बाइक होती है। गैंग में शामिल होने के लिए बकायदा बहाली होती है। गैंग का लीडर बाइक होने और अन्य शर्तों के साथ इंट्री फीस के रूप में हजार से दो हजार रुपये तक वसूलता है।

सोशल मीडिया से बनाते हैं लिंक

एक-दूसरे से जुड़े रहने के लिए ये वाट्सएप और फेसबुक पर भी ग्रुप बनाते हैं। किसी गैंग के सदस्य के साथ कोई घटना होती है तो मोबाइल पर मैसेज के जरिए सभी एक-दूसरे से संपर्क करके एकजुट हो जाते हैं। मदद के नाम पर मारपीट और जान लेने पर भी उतारू हो जाते हैं।

हर महीने होती है पार्टी

जमीन पर कब्जा दिलाने, धौंस जमाने, डराने-धमकाने के साथ फायरिंग और जुलूस मे भीड़ बढ़ाने तक के लिए गैंग पैसे वसूलते हैं। गैंग के सदस्य महीने मे एक या दो बार किसी बड़े होटल मे गर्लफ्रैंड के साथ पार्टी भी करते हैं। इसके लिए फंड मे 50 से 70 हजार रुपये तक जमा होते हैं। पैसे के लिए लूटपाट की जाती है।

कहा मनोचिकित्सक बिंदा सिंह ने

इस बारे में पटना की जानी-मानी मनोचिकित्सक बिंदा सिंह ने  बताया कि बचपन से ही एेसे बच्चों में आपराधिक प्रवृत्ति होती है। ये घर में, स्कूल में उत्पात मचाते रहते हैं। इन बच्चों पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत होती है। एेसे बच्चे विकृत मानसिकता के शिकार होते हैं। इनमें पर्सनालिटी डिजॉर्डर की समस्या होती है।

आखिर क्यों बच्चे हो रहे हैं शातिर अपराधी

जैसा कि बिंदा सिंह ने बताया, बड़े होने के साथी ही ये बच्चे निडर होते जाते हैं और अगर इन्हें कंट्रोल नहीं किया गया तो ये अपराध की दुनिया में कदम रख देते हैं। इनका मनोबल इतना बढ़ा होता है कि इन्हें पुलिस या सजा का भी डर नहीं होता।

दिमागी रूप से होते हैं तेज, निडर

उन्होंने कहा कि इस तरह के गैंग में ज्यादातर कम उम्र के बच्चे शामिल होते हैं जिनका कोई अापराधिक इतिहास नहीं होता। इसीलिए ये पुलिस की पहुंच से दूर रहते हैं। ये दिमागी रूप से बहुत तेज होते हैं। किसी को भी बरगला सकते हैं। अधिकांश कोई ना कोई नशा करते हैं।

विकृत मानसिकता के शिकार

ऐसे बच्चो को बचपन से ही सही मार्गदर्शन की जरूरत होती है। उनकी विकृत मानसिकता पर नियंत्रण करना जरूरी है। लड़कियों को छेड़ना, अजीब व्यवहार करना, दोस्तों की अधिकता आदि ऐसे बच्चों में बचपन से ही ज्यादा देखी जाती है।

दिल में खौफ पैदा करना जरूरी

बिंदा सिंह मानती हैं कि एेसे अपराधियों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए। उन्हें भय हो, नाबालिग होने का फायदा उठा ये मामूली सजा के साथ छूट जाते हैं। जबतक इन्हें कड़ी सजा नहीं मिलेगी, इनके भीतर जबतक डर नहीं होगा, तबतक वे एेसी वारदाताें को अंजाम देते रहेंगे।

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