घर देने में बिल्‍डर कर रहे हैं आनाकानी, तो आपके पास अब होंगे ये अधिकार

नई दिल्‍ली। केंद्र सरकार ने रियल एस्‍टेट (रेग्‍युलेशन एंड डेवलपमेंट) एक्‍ट के रूल्‍स नोटिफाई कर दिए हैं, जिसमें यह साफ हो गया है कि यह कानून उन प्रोजेक्‍ट्स पर भी लागू होगा, जिन्‍हें कम्‍प्‍लिशन सर्टिफिकेट नहीं मिले हैं। इससे उन लाखों होम बायर्स ने राहत की सांस ली है, जिन्‍हें पूरा पैसा जमा कराने के बावजूद घर नहीं मिला और वे होम लोन की ईएमआई और किराया दे-देकर परेशान हैं। हालांकि केंद्र द्वारा घोषित रूल्‍स केवल पांच केंद्र शासित क्षेत्रों (यूटी) पर ही लागू होंगे, लेकिन माना जा रहा है कि लगभग सभी राज्‍य इन रूल्‍स को ही अपनाएंगे। आइए जानते हैं, रियल एस्‍टेट एक्‍ट की खास बातें –
अपना पैसा वापस ले सकते हैं बायर्स
मिनिस्‍ट्री ऑफ हाउसिंग एंड अर्बन पॉवरिटी एलिवेशन (हूपा) के नोटिफिकेशन में कहा गया है कि रियल एस्‍टेट रेग्‍युलेटरी अथॉरिटी बनने के बाद तीन माह के भीतर ऑनगोइंग प्रोजेक्‍ट को रजिस्‍ट्रेशन कराना होगा। साथ ही, अंडरटेकिंग देनी होगी कि वह कितने समय के भीतर प्रोजेक्‍ट पूरा कर लेगा। इसके बावजूद, प्रोजेक्‍ट डिले होने पर एसबीआई के एमसीएलआर पर 2 फीसदी अधिक यानी लगभग 11 फीसदी ब्‍याज के साथ बायर्स अपना पैसा वापस ले सकते हैं।
ब्‍याज या मुआवजा ले सकते हैं
रूल्‍स में यह साफ कर दिया गया है कि अगर प्रोजेक्‍ट डिले हो गया है तो बायर्स, डेवलपर्स से ब्‍याज या मुआवजा ले सकते हैं। इस पर ब्‍याज दर स्‍टेट बैंक ऑफ इंडिया के एमसीएलआर पर 2 फीसदी अधिक होगी। यानी कि बायर्स अपनी जमा राशि का लगभग 11 फीसदी मुआवजा ले सकते हैं।
कारपेट एरिया का पता चल जाएगा
रियल एस्‍टेट रेग्‍युलेटरी अथॉरिटी बनने के बाद डेवलपर को यह स्‍पष्‍ट करना होगा कि जो प्रोजेक्‍ट उसने बेचा है, उसके फ्लैट्स का कारपेट एरिया कितना है। जबकि अब तक डेवलपर्स सुपर एरिया बता कर फ्लैट्स बेचते रहे हैं। बाद में बायर्स की शिकायत रहती है कि उनका कारपेट एरिया काफी कम है।
प्‍लान की भी मिलेगी जानकारी
बायर्स की यह शिकायत है कि डेवलपर से जब उन्‍होंने फ्लैट खरीदा था तो उस समय का लेआउट प्‍लान कुछ और था और बाद में उसे बदल दिया गया। रूल्‍स में यह स्‍पष्‍ट कर दिया गया है कि ऑनगोइंग प्रोजेक्‍ट्स के डेवलपर्स को रजिस्‍ट्रेशन के वक्‍त ही ऑरिजनल सेंक्‍शन प्‍लान, लेआउट प्‍लान और स्पेसिफिकेशन और अब तक किए गए मॉडिफिकेशन के बारे में बताना होगा।
प्‍लॉट में भी नहीं होगी हेराफेरी
अगर बायर्स ने प्‍लॉट लिया है तो डेवलपर को बताना होगा कि लेआउट प्‍लान के मुताबिक बायर को कितने एरिया का प्‍लॉट अलॉट किया गया है और बायर को उस एरिया का ही प्‍लॉट पर कब्‍जा देना होगा।
ऐसे मिलेगा जल्‍द फ्लैट
रुके हुए प्रोजेक्‍ट को जल्‍द से जल्‍द पूरा करने के लिए प्रावधान किया गया है कि ऑनगोइंग प्रोजेक्‍ट्स का एस्‍क्रो काउंट में भी बनाया जाएगा। ऑनगोइंग प्रोजेक्‍ट के डेवलपर को अपनी एप्‍लीकेशन के साथ ही यह जानकारी देनी होगी कि उसने होम बायर्स से कुल कितना पैसा ले लिया है, उसमें से कितना पैसा खर्च हो चुका है और अब जो पैसा उसके पास बचा हुआ है, उसका 70 फीसदी हिस्‍सा एक अलग अकाउंट (एस्‍क्रो) में जमा कराना होगा। यह 70 फीसदी उसी प्रोजेक्‍ट पर खर्च करना होगा। यह पैसा तीन माह के भीतर अकाउंट में जमा कराना होगा।

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