म्यान में नही जा रही चाचा-भतीजे के बीच खिंची तलवारें

नई दिल्‍ली। समाजवादी पार्टी में चाचा-भतीजे के बीच का विवाद अभी खत्‍म नहीं हुआ है। दो महीने पहले खिंची तलवारें अभी म्‍यान में वापस नहीं गई हैं। सार्वजनिक मंच से दोनों के बीच की तल्‍खिया जग-जाहिर हो रही हैं। बरेली में हुई पार्टी की रैली में तो प्रदेश अध्‍यक्ष ने सीएम अखिलेश यादव को एकदम से नकार ही दिया था। वहीं प्रो. रामगोपाल यादव ने भी टिकटों पर अपनी मुहर को जरूरी बताकर सब कुछ ठीक न होने का इशारा दे दिया है।

नोटबंदी के बाद सपा की रार को मीडिया की तवज्‍जों नहीं मिली या फिर वाकई में सभी के बीच सुलह हो गई थी। वजह जो भी हो, लेकिन आगरा-लखनऊ एक्‍सप्रेस वे पर उद्घाटन समारोह रामगोपाल यादव और शिवपाल यादव साथ-साथ दिखाई दे रहे थे। वहीं चाचा-भतीजा भी आमना-सामना होने पर अपने-अपने चेहरे पर मुस्‍कान लाकर ‘अब सब कुछ ठीक है’ का पैगाम देने की कोशिश कर रहे थे। लेकिन दोनों के बीच बढ़ी तल्‍खियों की चिंगारी अभी ठंडी नहीं पड़ी है। इसकी एक वजह टिकटों के लिए मौजूदा विधायकों और 2012 के चुनाव में दूसरे नम्‍बर पर रहे उम्‍मीदवारों का दोबारा सर्वे कराए जाना भी है।

जानकारों की मानें तो अभी तक सिर्फ एक बार में पार्टी के एमएलसी ही सर्वे कर के दे देते थे। उसी के अनुसार टिकट वितरण हो जाता था। सूत्रों की मानें तो प्रदेश शिवपाल यादव ने अखिलेश यादव खेमे के ज्‍यादा से ज्‍यादा विधायक और उम्‍मीदवारों को चटकाने के लिए दूसरे सर्वे की भूमिका रची है। दूसरी ओर सात दिसम्‍बर को बरेली में हुई एक सभा में भी सीधे मंच से प्रदेश अध्‍यक्ष ने सीएम अखिलेश यादव को दरकिनार कर दिया। सरकार की खूबियां गिनाने के दौरान सिर्फ सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव का नाम लिया। कहीं भी एक बार अखिलेश यादव का नाम नहीं लिया गया।

वहीं एक बार फिर छोटे भाई को खुश करने और उसकी बात बड़ी करने की गरज से सपा सुप्रीमो ने अपने ही बेटे और सीएम अखिलेश यादव की मंच से ही खिंचाई शुरू कर दी। पुलिस भर्ती न होने के लिए उन्‍हें जिम्‍मेदार ठहरा डाला। सीएम को सवाल-जवाब के घेरे में खड़ा कर दिया। बरेली की सभा के बाद से लोग ये समझ नहीं पा रहे हैं कि अब एक बार फिर अचानक से क्‍या हुआ कि प्रदेश अध्‍यक्ष और सपा सुप्रीमो के सुर बदल गए हैं। मुलायम और शिवपाल की मंशा पढ़ने के लिए बार-बार उस दिन हुई सभा की वीडियो फुटेज देखी और सुनी जा रही है।

मेरी मुहर के बिना पक्‍की नहीं होगी टिकट

किसी तरह रामगोपाल यादव की सपा में वापसी तो हो गई, लेकिन ऐसा लगता है कि इतना होने पर भी वो ये मानने को तैयार नहीं हैं कि सपा में उनका रुतबा रत्‍तीभर भी कम हुआ है। पार्टी के दूसरे लोगों और आम वोटरों तक यह संकेत पहुंचाने के लिए प्रो. साहब ने सार्वजनिक रूप से एक बयान दे डाला। पांच दिसम्‍बर को इटावा में मीडिया के सामने कहा कि यूपी विधानसभा चुनावों के लिए टिकट पर उनकी मुहर जरूरी होगी। उनकी मुहर के बिना टिकट पक्‍की नहीं मानी जाएगी। जानकारों का कहना है कि रामगोपाल यादव का ये बयान भी पुराने मामलों को हवा दे रहा है।

 

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