इंदौर- चिड़ियाघर में सोमवार सुबह करीब 10.30 बजे फिर बाघिन जमना पिंजरे की 11 फीट ऊंची जाली फांदकर भागी। इस बार वह बाहर तो नहीं आ पाई लेकिन पहले 15 मिनट तक क्रोल जाली पर चक्कर लगाती रही। फिर बफर जोन में कूद गई। यहां पौने दो घंटे तक घूमती रही। जू के पीछे की ओर प्रकाश हॉकी क्लब मैदान में क्रिकेट खेल रहे बच्चों ने उसे देखा तो वे दीवार पर चढ़कर वीडियो बनाते रहे। शुक्र है साेमवार था, इसलिए जू में दर्शक नहीं थे। नहीं तो स्थिति बिगड़ सकती थी।
जब बाघिन बफर जोन में थी तभी उसके भागने की 27 नवंबर को हुई पहली घटना की जांच टीम वही मौजूद थी। पहली घटना किसकी लापरवाही से हुई उसे लेकर बयान चल रहे थे। दूसरी बार बाघिन के पिंजरा फांदने से जू प्रबंधन पर सवाल उठ रहे हैं कि पहली घटना के बाद प्रबंधन ने बाघिन को छोटे फिंजरे में शिफ्ट कर 10 दिन तक फिंजरे की सुरक्षा व्यवस्था दुरुस्त की। हर स्तर पर जांचा कि दोबारा ऐसा तो नहीं होगा। इसके बाद बाघिन को पिंजरे में शिफ्ट किया। लेकिन शिफ्टिंग के सात दिन बाद उसने फिर जाली फांदकर आने की कोशिश की। घटना की सूचना के बाद महापौर मालिनी गौड़ और निगमायुक्त मनीष सिंह जू पहुंचे और जानकारी ली।
ऐसे बफर जोन में आई बाघिन
-जंगल जैसे इस पिंजरे में तीन अलग-अलग लेयर हैं।
-जंगल जैसे इस पिंजरे में तीन अलग-अलग लेयर हैं।
-मुख्य पिंजरे के दाईं तरफ छोटा जाली वाला पिंजरा है। इसके साथ ही मुख्य पिंजरे के भीतर ही क्रोल है। यहां लकी और जमना आराम फरमाते हैं।
– मुख्य पिंजरा, छोटा पिंजरा और क्रोल के अलावा सुरक्षा दीवार से तीन तरफ से घिरा बफर जोन है। इसी में जमना नें छलांग लगाई। बफर जोन में जानवरों की एंट्री नहीं होती। ये सिर्फ कर्मचारियों के रूटीन कार्य के लिए होता है।
पहले डर लगा, फिर हिम्मत कर वीडियो बनाया
मैं दोस्तों के साथ क्रिकेट देख रहा था। दीवार के छेद से मेरी नजर अचानक जू के भीतर पड़ी तो बाघिन जालियों पर घूमती दिखी। पहले तो डर गया। फिर दो दोस्तों को बताया। हमने वीडियो बनाना शुरू कर दिया। काफी देर तक वह जालियों पर टहलती रही। डर भी लग रहा था कि दीवार तक न पहुंच जाए। लेकिन दूरी ज्यादा थी। कुछ देर बाद वह बाहर की तरफ कूद गई। जाली में भीतर की तरफ बाघ उसे बार-बार देख रहा था। काफी देर बाद पुलिस के साथ कुछ लोग पहुंचे और उसे फिंजरे के अंदर किया।
(जैसा जू के पीछे मैदान पर किक्रेट मैच देख रहे साजिद ने बताया)
मैं दोस्तों के साथ क्रिकेट देख रहा था। दीवार के छेद से मेरी नजर अचानक जू के भीतर पड़ी तो बाघिन जालियों पर घूमती दिखी। पहले तो डर गया। फिर दो दोस्तों को बताया। हमने वीडियो बनाना शुरू कर दिया। काफी देर तक वह जालियों पर टहलती रही। डर भी लग रहा था कि दीवार तक न पहुंच जाए। लेकिन दूरी ज्यादा थी। कुछ देर बाद वह बाहर की तरफ कूद गई। जाली में भीतर की तरफ बाघ उसे बार-बार देख रहा था। काफी देर बाद पुलिस के साथ कुछ लोग पहुंचे और उसे फिंजरे के अंदर किया।
(जैसा जू के पीछे मैदान पर किक्रेट मैच देख रहे साजिद ने बताया)
फिर छोटे फिंजरे में शिफ्ट किया
जू कर्मचारियों ने बाघिन को छोटे पिंजरे में रखा है। वहीं बाघ लकी को भी यहां से छोटे पिंजरे में शिफ्ट किया है। प्रबंधन के मुताबिक बड़ा पिंजरा दुरुस्त होने के बाद ही उन्हें दोबारा शिफ्ट किया जाएगा।
सुझाव : मेडिसिन प्लांट लगाएं तो भागने का खतरा कम
पर्यावरण व जानवरों के संरक्षण को लेकर काम कर रहे राजस्थान में पिपलांत्री मॉडल के संरक्षक पर्यावरणविद् श्याम सुंदर पालीवाल का कहना है कि बाघिन के पिंजरे में चारों तरफ मेडिसिन प्लांट लगाने से उसके भागने का खतरा 80 फीसदी तक घट जाता है। खासकर ऐसे प्लांट जिनकी महक दूर तक फैलती है।
पर्यावरण व जानवरों के संरक्षण को लेकर काम कर रहे राजस्थान में पिपलांत्री मॉडल के संरक्षक पर्यावरणविद् श्याम सुंदर पालीवाल का कहना है कि बाघिन के पिंजरे में चारों तरफ मेडिसिन प्लांट लगाने से उसके भागने का खतरा 80 फीसदी तक घट जाता है। खासकर ऐसे प्लांट जिनकी महक दूर तक फैलती है।