पटना. चार दिनों का महापर्व छठ शुक्रवार से शुरु हो जायेगा। लोक आस्था के इस महापर्व को करने के लिए दूर देश से भी लोग पटना पहुंचने लगे हैं। राजधानी पटना सहित पूरा बिहार छठ के गीत से भक्तिमय हो गया है। हिन्दु ही नहीं दूसरे धर्म के लोग भी इस पर्व में पवित्रता का पूरा ध्यान रख रहे हैं।
सिलाई के बदले मोहम्द भाई ने मांगे छठ के प्रसाद…
निवेदिता गुड़गांव में रहती है। वो दो दिन पहले ही छठ करने पटना आयी है। निवेदिता ने अपने छठ के कपड़े मोहम्द भाई से सिलवाया है। मोहम्द भाई ने निवोदिता से सिलाई के पैसे के बदले छठ का प्रसाद मांगा है। निवेदिता ने tweet कर इस बात को बताया है। निवेदिता ने अपने tweet में लिखा है कि टेलर मोहम्द भाई ने मेरे कपड़े स्नान करने के बाद उपवास में रह कर सिलाई की है। वो कपड़े की सिलाई के पैसे के बदले मुझसे छठ का प्रसाद लेकर आने को कहा है। मोहम्मद बिहार के समस्तीपुर का ही रहने वाला है। फिलहाल वो गुड़गांव में अपनी सिलाई की दुकान चला रहा है।
छठ करने गुड़गांव से पटना पहुंची निवेदिता
निवेदिता गुड़गांव से छठ करने के लिए पटना पहुंच गई है। वो पटना की ही रहने वाली है। 1992 में पटना के नेट्रोडम से इसने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद आगे की पढ़ाई करने के लिए दिल्ली चली गई थी। यहां पर इसने मिरांडा हाउस से अपनी आगे की पढ़ाई पूरी की है। लेकिन शादी के बाद से वो गुड़गांव में रह रही है। इसके पति आईआरएस ऑफिसर हैं। खुद निवेदिता भी पहले एडवरटाइजिंग वर्ल्ड से जुड़ी हुई थीं, लेकिन अब वो परिवार और बच्चों पर विशेष ध्यान देती है। कई वर्षो के बाद निवेदिता छठ करने पटना पहुंची है।
छठ मनाने के लिए कोरिया से पटना पहुंची मोना
देश-विदेश में रहने वाले बिहारी छठ को लेकर अपने गांवों में लौटने लगे हैं। मोकामा की मोनी सिंह का इस बार छठ नहीं छूटेगा। ये फिलहाल साउथ कोरिया में इंजीनियर हैं। पिछले दो सालों से ये लोक आस्था के महापर्व पर अपने घर नहीं आ रही थीं, लेकिन मोना अपनी मां सुनीता देवी के आग्रह को नहीं ठुकरायी और सात समुंद्र को पार कर अपने घर छठ में आ रही है।
मोना ने अपने फेसबुक पर लिखा है कि छठ का क्या महत्व है, वो कोई बिहारी ही समझ सकता है। वो भी घर में अगर मां छठ कर रही हो तो फिर छठ का महत्व और बढ़ जाता है। क्योंकि जब मां अपनी बेटियों को सामने देख छठ का गीत गाती है रुणकी झुनकी बेटी मांगी ला, घोड़वा चढे के दामाद। यह सुनकर सर गर्व से ऊंचा हो जाता है। इसके साथ ही भाईयों के साथ घाट पर मस्ती की मुझे छठ में पटना खिंच लाया है।
बेटा बीमार हैं इसलिए नहीं कर पा रही है रुपा देवी छठ
रुपा देवी इस वर्ष छठ नहीं कर रही है। वो पिछले कई वर्षो से छठ करते आ रही हैं। लेकिन पिछले दो वर्षो से वो छठ नहीं कर रही है। रुपा का बेटा जितेंद्र नक्सलियों के खिलाफ लड़ते हुए गंभीर रुप से घायल हो गया था। पिछले कई माह से वो दिल्ली के प्रकाश अस्पताल में जीवन और मौत से अपनी लड़ाई लड़ रहा है। रुपा अपने बेटे की देख रेख में लगी हुई है। रुपा का यह बेटा सीआरपीएफ में जवान था। मां नहीं चाहती थी कि वो पुलिस की नौकरी करें। लेकिन, अपनी जिद से वो यह नौकरी कर ली थी। नौकरी ज्वाइंन करने के कुछ दिन बाद ही उसकी पोस्टिंग रायपुर हो गई थी। यहां पर ही वो नक्सलियों से लड़ते हुए गंभीर रुप से घायल हो गया था। फिलहाल वो जीवन और मौत से लड़ रहा है।
रुपा देवी इस वर्ष छठ नहीं कर रही है। वो पिछले कई वर्षो से छठ करते आ रही हैं। लेकिन पिछले दो वर्षो से वो छठ नहीं कर रही है। रुपा का बेटा जितेंद्र नक्सलियों के खिलाफ लड़ते हुए गंभीर रुप से घायल हो गया था। पिछले कई माह से वो दिल्ली के प्रकाश अस्पताल में जीवन और मौत से अपनी लड़ाई लड़ रहा है। रुपा अपने बेटे की देख रेख में लगी हुई है। रुपा का यह बेटा सीआरपीएफ में जवान था। मां नहीं चाहती थी कि वो पुलिस की नौकरी करें। लेकिन, अपनी जिद से वो यह नौकरी कर ली थी। नौकरी ज्वाइंन करने के कुछ दिन बाद ही उसकी पोस्टिंग रायपुर हो गई थी। यहां पर ही वो नक्सलियों से लड़ते हुए गंभीर रुप से घायल हो गया था। फिलहाल वो जीवन और मौत से लड़ रहा है।