विवादित कट्टरपंथी प्रचारक जाकिर नाईक की संस्था इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (आईआरएफ) को विदेशी फंड मिलने का रास्ता बंद होने जा रहा है। जाकिर और आईआरएफ की गतिविधियों की लंबी जांच के बाद सरकार ने संस्था की एफसीआरए पंजीकरण रद करने का फैसला किया है। आईआरएफ को आखिरी नोटिस जारी करने के साथ यह पंजीकरण रद कर दिया जाएगा। फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट (एफसीआरए) के जरिए ही कोई भी स्वयंसेवी संस्था विदेश के पैसा ले सकती है। गृह मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक सिर्फ आईआरएफ ही नहीं जाकिर की एक अन्य संस्था आईआरएफ एजुकेशन ट्रस्ट को भी सरकार की पूर्व सूचना श्रेणी में डालने का फैसला लिया गया है। अब सरकार की हरी झंडी के बिना एजुकेशन ट्रस्ट को भी विदेशी फंड नहीं मिलेगा।
सूत्रों ने बताया कि जाकिर नाईक और उसकी संस्था के खिलाफ सुरक्षा एजेंसियों की जांच में पता चला है कि विदेश फंड का इस्तेमाल युवकों को कट्टरपंथ का पाठ पढ़ाने में किया जा रहा है। ढाका में हुए आतंकी हमले में शामिल एक बांग्लादेशी लड़ाके ने अपने फेसबुक पर लिखा था कि वह जाकिर नाईक के उपदेशों से प्रेरित था। इसके बाद नाईक भारतीय एजेंसियों की नजर में आया। नाईक पीस टीवी के जरिए उपदेश देता है। इस घटना के बाद पीस टीवी को भारत और बांग्लादेश समेत कई देशों ने प्रतिबंधित कर दिया।