बिहार, दरभंगा:- यदि आप दरभंगा जिला अंतर्गत बेनीपुर प्रखंड के नवादा गांव में दीपावली से एक दिन पहले पहुंचते हैं तो चौंक जाएंगे। क्योंकि, पूरा गांव दीया जलाकर उत्सव मनाते दिखेगा। पटाखों की आवाज में बच्चे झूमते नजर आएंगे।
यानी मुख्य दीपावली से एक दिन पहले ही यहां के लोग घरों को पूरी तरह सजा-संवार लेते हैं। शाम ढलते ही पूरा गांव रोशनी से जगमगा उठता है। इस बार भी यहां के लोग 30 की जगह 29 अक्टूबर को ही दिवाली मनाने की तैयारी कर रहे हैं। गांव के प्रसिद्ध भगवती मंदिर को आकर्षक ढंग से सजाया जा रहा है।
बिजली की विशेष व्यवस्था की जा रही है। उस दिन पूरे गांव के लोग नाना प्रकार के व्यंजन तैयार करेंगे और फिर शाम को भगवती को अर्पित करेंगे। मंदिर परिसर में बच्चे पटाखे जलाएंगे तो वरीय सदस्य भजन-कीर्तन करेंगे। इसका यह कतई तात्पर्य नहीं है कि ये दीपावली से संबद्ध सभी आयोजन एक दिन पहले ही कर लेते हैं। इतना ही नहीं, मुख्य दिवाली के दिन ये लोग लक्ष्मी पूजन भी करते हैं, लेकिन दीप नहीं जलाते।धनतेरस यहां के लोगों ने शुक्रवार को ही मनाया।
पृथ्वीचंद्र झा महेन्दू, पूर्व मुखिया रमानंद झा व अन्य ग्रामीणों के अनुसार यह जमींदारों का गांव रहा है। जिनके संबंध दरभंगा राज से अच्छे थे। दोनों पक्ष के लोग न केवल एक-दूसरे के यहां आना-जाना करते थे वरन त्योहार सहित अन्य धार्मिक व पारिवारिक कार्यक्रमों में भी भाग लेते थे। राजपरिवार में एक दिन पूर्व दिवाली मनाई जाती थी, इसलिए यहां के ग्रामीणों से एक दिन पहले ही इसे मनाना शुरू किया। यह परंपरा आज भी बरकरार है।
राजपरिवार में एक दिन पहले दीपावली मनाने की पंरपरा के बारे में महाराजाधिराज कामेश्वर सिंह- कल्याणी फाउंडेशन के ट्रस्टी व समाजशास्त्री डॉ. हेतुकर झा ने बताया कि उस समय राजपरिवार ज्योतिषाचार्य हेमांगत ठाकुर द्वारा बनाए पंचांग को मानता था। उनकी गणना के अनुसार दिवाली एक दिन पहले पड़ती थी।
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