कहते हैं कि इंसान खाए बिना तो कई दिनों तक रह सकता है, लेकिन सोए बिना रहना असंभव होता है। जी हां, शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए हमें रोज़ाना पर्याप्त नींद लेना बेहद ज़रूरी होता है। लेकिन पर्याप्त नींद को लेकर लोगों में मतभेद हैं। कुछ लोग कहते हैं कि एक दिन में 6 घंटे की नींद किसी इंसान के लिए पर्याप्त होती है तो कुछ का मानना है कि हर व्यक्ति को रोज़ाना 8 घंटे ज़रूर सोना चाहिए। तो चलिए आज हम जानते हैं कि इस 6 घंटे और 8 घंटे की नींद में क्या फर्क है और हमें रोज़ाना कितने घंटे की नींद लेनी चाहिए।
डॉक्टर इब्राहिम इशाद के मुताबिक, नींद कुछ गाड़ी चलाने की तरह होती है। जितना आप टूटी और बेकार रोड़ पर गाड़ी चलाते हैं, उतना ही ज्यादा आपकी गाड़ी को नुकसान होता है। ठीक इसी तरह से आप जितना कम नींद लेने की आदत डालते हैं, आपके शरीर को भी उतना ही ज्यादा नुकसान होता है।
लंदन में हुए शोध के परिणाम
लंदन के शोधर्ताओं द्वारा हाल में किए अध्ययन से साबित हुआ कि नींद की कमी से न सिर्फ त्वचा पर दुष्प्रभाव होता है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य भी बुरी तरह से प्रभावित होता है। सारा चाल्मर्स ने नींद और त्वचा पर इसके प्रभाव को लेकर लंदन यूनिवर्सिटी द्वारा किए गए शोध में हिस्सा लिया। प्रयोग से पहले सारा के चेहरे की त्वचा पर स्कैन और परिक्षण किए गए।
46 वर्षीय सारा सोचती थी की वे अपनी उम्र से ज्यादा की दिखाई पड़ती हैं। सारा को खुले पोर्स, आंखों के नीचे काले घेरे तथा कांतीहीन त्वाचा आदि समस्याएं थीं। इसके अलावा सारा ने कई धब्बे देखे जो उसकी ठोड़ी पर दिखाई देने लेगे थे। इसके अलावा सारा ने नोटिस किया कि वो कुछ समय से थोड़ी परेशान रहती हैं और चीज़ों को भूल भी जाती हैं। इस सभी परेशानियों के पीछे एक ही कारण था, कि सारा काफी समय से पर्याप्त नींद से दो घंटा कम सो रही थीं।
सारा के तीन बच्चे हैं और उनकी नींद की कमी के पीछे का कारण घरेलू जिम्मेदारियों और बहुत सारा काम थे। डॉक्टरों द्वारा भी रोज़ाना 8 घंटों की नींद लेने की सलाह दी जाती है, लेकिन देश और दुनिया के अधिकांश भागों में लोग केवल 5 से 6 घंटों की ही नींद ले पाते हैं। सारा के अनुसार, नींद में केवल एक घंटे की कमी भी उनके ध्यान, याद्दाश्त, त्वचा और प्रतिरक्षा प्रणाली को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती है।