जाने क्यों:-शुरू होगा कल से छठपूजा

सूर्योपासना का महापर्व छठ को लेकर व्रतियों की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। इस पर्व से जुड़े विधि-विधान शुक्रवार को व्रतियों के नहाय-खाय के साथ शुरू हो जाएंगे। इस बार सूर्य षष्ठी का संध्या अर्घ्य रविवार को दिया जाएगा। ज्योतिष इसे बहुत शुभ संयोग मान रहे हैं, क्योंकि सूर्योपासना सूर्य के ही दिन रविवार को होगी। यह शुभ फलदायी है।

सूर्योपासना का उल्लेख पौराणिक ग्रंथों में भी आया है। इससे जुड़ीं कई कथाएं और किंवदंतियां प्रचलित हैं। मान्यता है कि कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि की पहली पूजा स्वयं सूर्य ने ही की थी। छठ पर्व का धार्मिक आस्था से इतर वैज्ञानिक पक्ष भी है। यह पर्व स्वच्छता, वातावरण की शुद्धता और प्रकृति संरक्षण का भी संदेश देता है। छठ पर्व में शुद्धता और स्वच्छता को लेकर विशेष सावधानी बरती जाती है। यह पर्व वातावरण को शुद्ध रखने का संदेश देता है।

36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू करने से पहले व्रती सात्विक भोजन करते हैं। कार्तिक शुक्लपक्ष की चतुर्थी तिथि को नहाय-खाय में कद्दू-भात खाने की परंपरा है। व्रती अरवा चावल का भात, कद्दू की सब्जी और चने की दाल खाते हैं। अरवा चावल में प्रचुर मात्रा में स्टार्च होता है। इससे शरीर को ऊर्जा मिलती है। कद्दू सुपाच्य होता है और इससे कफ, वात, पित्त की शिकायत दूर होती है। चने की दाल में भरपूर प्रोटीन होता है।

इस बार चतुर्थी तिथि चार नवम्बर शुक्रवार को है। पंचमी तिथि को खरना में गुड़-अरवा चावल व गाय के दूध से बनी खीर और गेहूं की रोटी खायी जाती है। गुड़ में आयरन, विटामिन बी कंप्लेक्स व न्यूरोजेनिक टॉनिक प्रचुर मात्रा में होता है। दूध में मौजूद कैल्शियम से शरीर में ऐंठन नहीं होती। गेंहू के आटे की रोटी में कार्बोहाइड्रेट भरपूर होता है, जो शरीर को ताकत देता है। खरना के बाद छठ व्रतियों का 36 घंटे का उपवास शुरु होगा, जो सात नवंबर को उदयीमान सूर्य को अर्घ्य के साथ संपन्न होगा।

खास संयोग
ज्योतिषी कहते हैं कि इस वर्ष छठ पर्व पर कई शुभ संयोग बन रहे हैं, जिनका सकारात्मक प्रभाव व्रतियों व श्रद्धालुओं पर पड़ेगा। छठ का नहाय-खाय- 04 नवंबर को है। खरना 05 तारीख को है, इस दिन अमृत योग बन रहा है। अस्ताचलगामी सूर्य को संध्या अर्ध्य 06 तारीख को दिया जाएगा। इस दिन सूर्य का दिन रविवार होने के साथ सर्वार्थसिद्धि योग और त्रिपुष्कर योग भी बन रहा है, जो शुभ फलदायी है। 07 नवंबर को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के साथ छठ व्रत संपन्न होगा।

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