बिलासपुर। हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए व्यवस्था दी है कि जिला पंचायत के सीईओ को शिक्षाकर्मियों के अंतरजिला तबादले का अधिकार नहीं है। प्रदेश के चार जिलों के शिक्षाकर्मियों की याचिका पर कोर्ट ने स्थानांतरण आदेश को निरस्त कर दिया है। इससे 550 शिक्षाकर्मी वर्ग तीन को राहत मिली है।
मुंगेली,जांजगीर-चांपा,रायगढ़ व राजनांदगांव के 550 शिक्षाकर्मी वर्ग तीन को युक्तियुक्तकरण नीति के तहत अतिशेष दर्शाया गया था। साथ ही जिला पंचायत सीईओ ने अन्य जिलों के लिए तबादला आदेश जारी कर दिया था। सीईओ द्वारा अंतरजिला किए गए तबादले को तुलसी राम चौहान,केशव खंडेल,प्रेमसिंह सिंदार,परमानंद भोई सहित अन्य शिक्षाकर्मियों ने अपने वकीलों के जरिए अलग-अलग याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ताओं ने बताया था कि रायगढ़ जिले से कबीरधाम,रायगढ़ से मुंगेली,मुंगेली से राजनादगांव,जांजगीर-चांपा से कबीरधाम व कबीरधाम से जांजगीर-चांपा जिले की स्कूलों में स्थानांतरण आदेश जारी कर दिया था।
याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिका में खुलासा किया है कि तबादला आदेश जारी करते वक्त सक्षम अधिकारी द्वारा हस्ताक्षर नहीं किया गया है। युक्तियुक्तकरण के तहत शासन द्वारा जारी गाइड लाइन का हवाला देते हुए कहा है कि इस नियम के तहत सक्षम अधिकारी द्वारा अपने जिले के भीतर संचालित स्कूलों के लिए तबादला आदेश जारी किया जा सकता है।
प्रारंभिक सुनवाई के दौरान सिंगल बेंच ने इन जिलों के आला अफसरों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया था। 23 दिसंबर को जस्टिस एमएम श्रीवास्तव की सिंगल बेंच ने अंतरजिला तबादला आदेश को रद्द कर दिया है। जस्टिस श्री श्रीवास्तव ने फैसले में स्थानांतरण आदेश को क्षेत्राधिकार से बाहर का मामला माना है।