इस बार जेईई मेंस में गलत उत्तर पर पड़ेगी दोहरी मार

 देहरादून:  जेईई मेंस की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों को इस बार परीक्षा में सवालों के गलत जवाब भारी पड़ सकते हैं। गलत जवाब के कारण जहां अंक कटेंगे, वहीं गलत सवालों की संख्या ज्यादा होने पर वरीयता सूची से बाहर होने का खतरा भी रहेगा। नए नियम के तहत यदि दो या इससे ज्यादा अभ्यर्थियों के विषयवार नंबर बराबर आते हैं तो उनकी रैंकिंग का आधार गलत सवालों की संख्या बनेगी।
देशभर के तमाम भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी), नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआइटी), केंद्र सरकार से सहायता प्राप्त तकनीकी संस्थान (जीएफटीआइ) समेत अन्य प्रतिष्ठित तकनीकी शिक्षण संस्थानों में प्रवेश के लिए आयोजित होने वाली संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) मेंस में सीबीएसई ने कुछ बदलाव किए हैं।

दो अप्रैल, 2017 को होने वाली जेईई मेंस के लिए एक दिसंबर से आवेदन शुरू हो चुके हैं। नए बदलावों में यह अहम है कि इस साल से गलत सवाल भी रैंकिंग प्रभावित कर सकते हैं। बोर्ड में विषयवार बराबर नंबर आने पर गणित के अंकों के आधार पर वरीयता तय होगी।
गणित में भी समान अंक होने पर भौतिकी के अंकों के आधार पर और अगर भौतिकी में भी अभ्यर्थियों के अंक बराबर आते हैं तो रैंकिंग सवालों के दिए गए गलत जवाब तय करेंगे। जिस छात्र के अधिक सवाल गलत होंगे, वह पिछड़ जाएगा।

जानकारों की मानें तो इस नियम के बाद अभ्यर्थियों को गलत जवाबों को लेकर काफी सतर्कता बरतनी होगी। ऐसा न करने पर ऑल इंडिया रैंकिंग पर तो असर पड़ेगा ही साथ ही बेहतरीन संस्थानों में ऐडमीशन हासिल करने का सपना भी टूट सकता है।

अचीवर्स क्लासेस के प्रबंध निदेशक मनु पंत कहना है कि अभ्यर्थियों को चाहिए कि पहले वे सवाल हल करें, जिनको लेकर शत-प्रतिशत निश्चित हों। इसके बाद बाकी सवालों को इस हिसाब से हल करें कि गलत जवाब देने का जोखिम कम से कम हो। तुक्के मारने से बचें। इससे दोहरा नुकसान होगा। एक तो अंक कटने का खतरा और दूसरा रैंकिंग प्रभावित होने का।

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