टाटा संस: टाटा इंडस्ट्री के डॉयरेक्टर पद से हटाए गए साइरस मिस्त्री

सोमवार को हुई टाटा इंडस्ट्री की ईजीएम और असाधारण आम बैठक में मिस्त्री को बाहर करने के लिए वोट किया गया। निदेशक के रूप में विदाई होने के साथ ही वो अब बोर्ड के चेयरमैन भी नहीं रहेंगे। टाटा संस ने टाटा ग्रुप कंपनियों के शेयरधारकों से अपील की थी कि वो साइरस मिस्त्री को बोर्ड से हटाएं। टाटा संस का कहना है कि मिस्त्री के डायरेक्टर बने रहने से टाटा ग्रुप का विघटन हो सकता है।

टाटा का आरोप मिस्त्री ने चेयरमैन बनने के लिए समिति को गुमराह किया, फैमिली की कंपनियों पर ही रहा उनका फोकस

रतन टाटा ने मिस्त्री पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि साइरस मिस्त्री ने नए चेयरमैन के चयन के लिए साल 2011 में गठित चयन समिति को पर गुमराह किया था। उन्होंने आगे कहा कि मिस्त्री टाटा संस के चेयरमैन होते हुए भी अपने परिवार की कंपनी शापूरजी पलोनजी एंड कंपनी के हितों की ही सोचते रहे, ऐसा करने से ग्रुप को कई नुकसान झेलने पड़े। टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाए जाने के बाद मिस्त्री को टीसीएस और टाटा ग्लोबल बेवरेज के पद से भी हटाया गया था।

प्रमुख बातें:

  • मिस्त्री ने अपने वादे के मुताबिक पारिवारिक उपक्रम शापोरजी पल्लोनजी से दूरी नहीं बनाई।
  • मिस्त्री के प्रतिबद्धता से मुंह मोड़ने से ही निजी हितों से अछूते रह कर टाटा समूह का नेतृत्व करने की उनकी क्षमता को लेकर चिंता पैदा हुई।
  • लाभांश आय (टीसीएस को छोड़कर) में लगातार गिरावट आई। मिस्त्री के कार्यकाल में कर्मचारियों की लागत दोगुना से ज्यादा हो गई।
  • मिस्त्री ने धीरे-धीरे सभी अधिकार और शक्तियां अपने हाथ में ले लीं थी।
  • मिस्त्री ने मिली खुली छूट का लाभ उठाकर प्रबंधन ढांचे को कमजोर किया।
  • मिस्त्री ने टाटा पावर के निदेशक मंडल में बने रहने के लिए शेयरधारकों की मंजूरी मांगी।
  • बीते शनिवार को साइरस मिस्त्री ने टाटा पावर के शेयरधारकों से प्रवर्तकों द्वारा उन्हें बोर्ड से हटाए जाने के प्रस्ताव के खिलाफ समर्थन मांगा।
  • कंपनी ने साइरस मिस्त्री को निदेशक पद से हटाए जाने के प्रस्ताव पर विचार के लिए 26 दिसंबर 2016 को असाधारण बैठक बुलाई है।

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