विशेष जज सीबीआइ अनुज कुमार संगल की अदालत ने टीएचडीसी के सीनियर मैनेजर (सिविल) को रिश्वतखोरी के मामले में पांच साल कैद और 20 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई।
देहरादून: टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (टीएचडीसी) के सीनियर मैनेजर (सिविल) को रिश्वतखोरी में विशेष जज सीबीआइ अनुज कुमार संगल की अदालत ने शनिवार को पांच साल कैद और 20 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। जुर्माना अदा न करने पर दो माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी। सीनियर मैनेजर को 13 जनवरी 2011 को टिहरी में एक लाख रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा गया था।
सीपीडब्ल्यूडी से टीएचटीसी में प्रतिनियुक्ति पर तैनात सीनियर मैनेजर (सिविल) नंदकिशोर यादव उस वक्त टीएचडीसी के भागीरथीपुरम में तैनात था। लखनऊ के निवासी ठेकेदार रितेश कुमार पांडे की शिकायत पर 13 जनवरी 2011 को सीबीआइ ने टिहरी में टीएचडीसी के सीनियर मैनेजर (सिविल) एनके यादव पुत्र केएस यादव (मूल निवासी ग्राम गौरझागर थाना सतना जिला सागर, मध्य प्रदेश) को एक लाख रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथ दबोच लिया था। मैनेजर ने रितेश के 22 लाख रुपये के बिल को पास कराने की एवज में चार लाख रुपये की रिश्वत मांगी थी। एक लाख रुपये एडवांस के तौर पर दिए जाने के दौरान सीबीआइ ने उसे दबोच लिया।
विगत पांच साल से यह मुकदमा सीबीआइ कोर्ट में चल रहा था। शनिवार को इस मुकदमे में अभियोजन व बचाव पक्ष की दलीलों को सुनने के बाद जज ने फैसला सुनाया। सीबीआइ वकील पंकज गुप्ता और सतीश कुमार ने केस से जुड़े सबूत और आठ गवाह पेश किए। जिस पर सीबीआइ के स्पेशल जज अनुज कुमार संगल की कोर्ट ने आरोपी नंदकिशोर यादव को रिश्वत लेने का दोषी करार दिया। सीबीआइ कोर्ट ने दो अलग धाराओं में आरोपी को तीन और पांच साल की सजा सुनाई। दोनों सजाएं एक साथ चलेंगी, कोर्ट में सजा सुनाए जाने के बाद पुलिस ने दोषी को कस्टडी में लेकर सुद्धोवाला जेल भेज दिया।
सरकारी गवाह के खिलाफ भी कार्रवाई
सीबीआइ ने मैनेजर की गिरफ्तारी के दौरान बीएसएनएल के जेटीओ जितेन्द्र कुमार सिंह को सरकारी गवाह बनाया था। पहली गवाही देने के बाद गवाह आरोपी से मिलकर बयान से मुकर गया। इस मामले को सीबीआइ कोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए गवाह के खिलाफ नोटिस जारी करने को भी कहा है। नोटिस के बाद ट्रायल में मुकदमा दर्ज किया जाएगा।