हरियाणा में ड्राई फ्रूट का बाजार टैक्स की मार झेल रहा है। पड़ोसी राज्यों के मुकाबले ड्राई फ्रूट्स पर हरियाणा में सबसे ज्यादा टैक्स है।
अंबाला शहर। हरियाणा में ड्राई फ्रूट पर टैक्स की दर पड़ोसी राज्यों से लगभग तीन गुना अधिक होने से प्रदेश भर में इसका व्यापार चौपट होकर रह गया है। टैक्स अधिक होने से व्यापार प्रभावित होने के साथ ही सरकार को भी नुकसान हो रहा है। टैक्स की दर अधिक होने से या तो व्यापारी खुलकर काम नहीं कर सकता या फिर उसे मजबूरी में बाजार में रहने के लिए दूसरे तरीके अपनाने पड़ते हैं।
दोनों ही अवस्थाएं सरकार को नुकसान पहुंचा रही हैं। जहां पड़ोसी राज्यो में ड्राई फ्रूट में मात्र पांच प्रतिशत टैक्स है तो प्रदेश में इसकी दर 13 प्रतिशत से अधिक है। कई बार तो ज्यादा मांग वाले क्षेत्र मसलन हलवाई या विवाह शादी के कार्यक्रमों में संबंधित लोग सीधे ही पड़ोसी राज्यों से ड्राई फ्रूट लाने के लिए मजबूर हो जाते हैं। दरअसल ड्राई फ्रूट अब मात्र अमीरों का ही नहीं बल्कि हर घर की जरूरत बन चुका है। मिठाई की सजावट और स्वाद की दृष्टि से इनका प्रयोग होना आम बात है।
अंबाला की होलसेल करियाना मार्केट में विभिन्न ड्राई फ्रूट के दाम प्रति किलो इस प्रकार से हैं:-
- काजू……….800 से 1100 रुपये
- बादाम गिरी………..610 रुपये
- पिस्ता……………880 रुपये
- किशमिश…….150 से 200 रुपये
- अखरोट गिरी………1000 रुपये
- चिलगोजा………..2000 रुपये
13 प्रतिशत टैक्स अधिक
अंबाला शहर होलसेल करियाना मर्चेंट एसोसिएशन के महासचिव पवन गुप्ता की मानें तो पंजाब, चंडीगढ़ व दिल्ली में ड्राई फ्रूट पर मात्र 5 प्रतिशत का टैक्स लगता है लेकिन हरियाणा में इसकी दर 12.5 प्रतिशत है जिस पर 5 प्रतिशत अधिभार भी लगता है। कुल मिलाकर ड्राई फू्रट पर टैक्स की दर 13 प्रतिशत से अधिक है। यदि निकट भविष्य में जीएसटी लागू होता है तो प्रदेश में वसूल की जा रही यही दर व्यापारियो और आम नागरिको के लिए आर्थिक नुकसान का कारण बनेगी।