…..तो इसलिए हार जाते थे दैत्य देवी-देवताओं से!

अहंकार जिसे अंग्रेजी में ईगो भी कहते हैं। यह मुख्य वजह थी, पौराणिक समय में देवताओं से दैत्यों के हारने की। ऐसी कई हिंदू पौराणिक कहानियां हम अमूमन पढ़ते है। जिसमें दैत्य कठिन तप करते हैं। उन्हें ब्रह्माजी और शंकर जी वरदान स्वरुप कई शक्तियां देते हैं।

और इस तरह शक्तियां पाकर वह स्वयं को ईश्वर घोषित करते हैं। और वास्तविक ईश्वर की चुनौती देते हैं। वह लोगों पर अत्याचार करते थे। और जब अत्याचार की अति हो जाती तो ईश्वर कभी मानव रूप में तो कभी दिव्य रूप में स्वयं आकर इन अहंकारी दैत्यों का अंत करते थे।

पौराणिक कथाओं में ऐसी कई कहानियां हैं जो इस बात की ओर इंगित करती है कि अहंकार इंसान के अस्तिव को भी नष्ट कर सकता है। आधुनिक संदर्भ में यह बात एक तरह से सीख लेने की है।

वैसे पौराणिक कहानियों के खलनायक जैसे मधु-कैटभ, हिरण्याक्ष-हिरण्याकश्यपु, रावण, कुंभकर्ण, मेघनाद, राजा बालि दैत्य कुल में जन्में ऐसे कई पात्र हैं। जिनका अंत अहंकार के कारण ही हुआ था।

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