डीआईजी के फरमान से थाना प्रभारियों ने पत्नियों को घुमाना छोड़ा

इंदौर। कुछ दिनों से कई थाना प्रभारी परेशान चल रहे हैं। उनकी परेशानी थाने में अटैच जीप और उसमें लगे कैमरे हैं। डीआईजी न तो खुद घूम-फिर पा रहे और न ही पत्नी-बच्चों को घुमा पा रहे। रोल कॉल में भी स्टाफ को कैमरे से बचने की हिदायत दी जा रही।

दरअसल, डीआईजी ने संवेदनशील थानों की मोबाइल जीप को डोम (पीटीजेड), रिवर्स, फ्रंट और साइड कैमरों से लैस कर दिया है। गाड़ी में कैमरे लगाने का मकसद थाने में जमा होने वाली भीड़, दंगाइयों और प्रदर्शनकारियों की रिकॉर्डिंग करना है, लेकिन थाना प्रभारी इस पसोपेश में हैं कि कैमरे में कहीं वो खुद ही न फंस जाएं। इस घबराहट में कई थाना प्रभारियों ने गाड़ी घर ले जाना बंद कर दिया। पत्नी और बच्चों को भी थाने की गाड़ी से दूर कर दिया। इतना ही नहीं, स्टाफ को भी समझा दिया कि बंदी लेने जाना हो या किसी मुखबिर से मिलना हो तो थाने की गाड़ी दूर ही खड़ी रखना।

कभी रिकॉर्डिंग में फंसे या अफसरों ने देख लिया तो तुम्हारी तुम जानना। कुछ टीआई तो कैमरे हटाने की गुहार भी लगा चुके हैं। इसके लिए तर्क भी दिए गए। उन्होंने कहा कैमरे ढीले हैं। गाड़ी को दबिश में जाना पड़ता है। कहीं गिर गए तो कौन जिम्मेदार होगा, किसी ने कहा मुखबिर मिलने से डरने लगे हैं। कैमरे हटाकर फास्ट रिस्पॉन्स व्हीकल (एफआरवी) में लगवा दीजिए।

ऐसे नहीं होती रिकॉर्डिंग

कंट्रोल रूम प्रभारी के मुताबिक फिलहाल चार थानों की गाड़ी में कैमरे लगाए गए हैं। कैमरों में हमेशा रिकॉर्डिंग नहीं होती। घटनाक्रम होने पर टीआई खुद रिकॉर्डिंग कर सकते हैं। कैमरों का मकसद दंगाई और धरना-प्रदर्शन करने वालों के फुटेज जुटाना हैं।

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