थोड़ी-थोड़ी पिया करो- महंगी होने वाली है शराब फिर भी मूल कोटा रहेगा बरक़रार!

हरियाणा में शराब फिर महंगी होने वाली है। इसके साथ ही शराब ठेकों की संख्‍या भी घटने की संभावना है। राज्‍य सरकार नई शराब नीति के तहत टैक्‍स और लाइसेंस फीस बढ़ाने की तैयारी में है।

 

चंडीगढ़। हरियाणा में पिछले दो सालों की तरह इस बार भी शराब महंगी हो सकती है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट का शिकंजा कसने के बाद हाइवे पर शराब ठेकों की संख्या भी घटेगी। शराब पर वैटया आबकारी शुल्क और लाइसेंस फीस में बढ़ोतरी की संभावना है। ऐसे में शराब के दामों में उछाल आना तय है। पिछले साल सरकार ने शराब पर वैट में दो फीसद और उससे पहले साल चार फीसद की बढ़ोतरी की थी। देसी शराब पर अतिरिक्त आबकारी शुल्क12 रुपये से बढ़ाकर 18 रुपये प्रति प्रूफ लीटर और आइएमएफएल (अंग्रेजी शराब) के लिए 30 रुपये से बढ़ाकर 45 रुपये प्रति प्रूफ लीटर किया गया था।

हरियाणा का बजट इस साल फरवरी में आने वाला है। लिहाजा बजट से पहले हर हाल में वर्ष 2017-18 की शराब नीति घोषित कर दी जाएगी। सरकार ने शराब नीति पर ठेकेदारों व आम लोगों की राय जानने के लिए 15 जनवरी तक का समय दिया है। पिछले साल सरकार ने साढ़े तीन हजार करोड़ रुपये का राजस्व इकट्ठा करने के लक्ष्य के साथ वैट की दर आठ फीसद से बढ़ाकर दस फीसद कर दी थी, जो इस बार और बढ़ सकती है। प्रदेश में देसी शराब और भारत में बनी विदेशी शराब के कुल ठेकों की संख्या 3,500 है। सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल व स्टेट हाइवे से करीब 500 मीटर की दूरी तक ठेके नहीं खोलने के निर्देश दिए हैैं। इन निर्देशों का अनुपालन करना सरकार के लिए जरूरी हो गया है। ऐसे में शराब ठेकों की संख्या कुछ कम रह सकती है। सब-वेंड (उप ठेके) खोलने की अनुमति केवल एक हजार से कम आबादी वाली ग्राम पंचायतों में ही दी जाएगी, लेकिन इसके लिए ग्राम पंचायत की अनुमति लेनी जरूरी होगा।

गांवों में होने रहे हैं शराब ठेकों का विरोध 

ग्रामीण इलाकों में शराब का खुला विरोध शुरू हो गया है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने हरियाणा दौरे के दौरान शराबबंदी की वकालत करके गए हैैं। कांग्रेस के प्रांतीय उपाध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री आफताब अहमद ने भी मेवात इलाके में शराब के बढ़ते दुष्प्रभाव का हवाला देते हुए शराबबंदी की वकालत की है। गांवों में महिलाएं शराब की वजह से परेशान हैैं और वे ठेके खुलने का विरोध कर रही हैैं। ऐसे में दिक्कतें बढ़ सकती हैं।
शराब का मूल कोटा बरकरार रहेगा. सरकार द्वारा शराब की ढुलाई के लिए ऑनलाइन पास और परमिट की सुविधा इस बार भी बरकरार रहेगी। इससे शराब की चोरी और तस्करी पर रोक लगेगी। शराब के ठेके ई-नीलामी के जरिए अधिक बोली लगाने वाले को दिए जाएंगे। देसी शराब का मूल कोटा 950 लाख प्रूफ लीटर और आइएमएफएल (देश में बनने वाली अंग्रेजी शराब) का मूल कोटा 550 लाख प्रूफ लीटर बरकरार रहने की संभावना है।

लाइसेंस फीस में पांच लाख और 10 लाख रुपये की वृद्धि
शराब के थोक विक्रेता की लाइसेंस फीस में बढ़ोतरी की संभावना है। एल-13 (देसी शराब) के मामले में इसे पांच लाख रुपये से बढ़ाकर 10 लाख रुपये और एल-1 (अंग्रेजी शराब) के लिए 40 लाख रुपये से बढ़ाकर 50 लाख रुपये लाख रुपये पहले ही किया जा चुका है। इसमें पांच से दस लाख रुपये की और बढ़ोतरी संभव है।

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