दीपोत्सव पर आगरा की आबोहवा को आतिशबाजी से निकले धुएं और गंध ने प्रदूषित कर दिया। ताजनगरी में धूल कणों की मात्रा ताजमहल और बेबी ताज कहे जाने वाले एत्माद्दौला पर सामान्य दिनों की अपेक्षा कहीं अधिक दर्ज की गई। हालांकि, राहत की बात यह रही कि ताजमहल पर पिछले वर्ष की तुलना में इस बार वायु प्रदूषण की मात्रा में कमी आई, जबकि एत्माद्दौला पर वृद्धि दर्ज की गई।
रविवार को दीपावली पर ताजनगरी का आसमान सतरंगी नजारों से जगमगा उठा था। हर गली, मोहल्ले, कॉलोनी व अपार्टमेंट में पटाखों का शोर था। इसका असर शहर की आबोहवा पर भी पड़ा। शाम सात से रात 12 बजे तक जमकर हुई आतिशबाजी से शहर में श्वंसनीय निलंबित कण (पीएम10) और निलंबित कणों (आरएसपीएम) की मात्रा में सामान्य दिनों की अपेक्षा कहीं अधिक वृद्धि दर्ज की गई। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार, सामान्य दिनों की अपेक्षा पीएम10 ताज पर मानक से तीन गुना और एत्माद्दौला पर चार गुना तक पहुंच गया। इससे शहरवासियों को सांस लेने में भी दिक्कत महसूस हुई। इस बार एसओ2 की मात्रा बिलो डिटेक्शन लिमिट से कम रही, जबकि वाहनों के कम चलने से एनओ2 में पिछले वर्ष की अपेक्षा गिरावट आई। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी वीके शुक्ला ने बताया कि सामान्य दिनों की अपेक्षा पीएम10 और आरएसपीएम की मात्रा दीपावली पर अधिक दर्ज की गई है।
सीमा से अधिक शोर झेल रहे
ताजनगरी के बाशिंदे ध्वनि प्रदूषण के निर्धारित मानकों से कहीं अधिक शोर झेल रहे हैं। सुबह छह से रात 10 बजे तक 55 डेसीबल और रात 10 से सुबह छह बजे तक 45 डेसीबल मानक ध्वनि का तय है। मगर ताजनगरी में सामान्य दिन में इसका औसत 61.9 डेसीबल दर्ज किया गया। इस शोर की वजह से लोगों के सुनने की क्षमता प्रभावित हो रही है।
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