सत्याग्रह फाउंडेशन के तत्वाधान में आज दिनांक 29 दिसम्बर 2016 को नोट बंदी के 50 दिन पूरे होने के बाद भी आम जनता, किसान तथा व्यापारी वर्ग को हो रही कठिनाइयों एवं केंद्र सरकार की लचर नीति के विरोध में गांधी प्रतिमा हजरतगंज पर धरने का आयोजन किया गया. जिसकी अध्यक्षता संस्था के अध्यक्ष नसीम खान ने की और कहा कि केंद्र सरकार ने बिना तैयारी के यह फैसला लिया है जिससे जनता 50 दिन पूरे होने के बाद भी कठिनाइयों से जूझ रही है.
आम जनमानस भूखा मर रहा है, व्यापारी परेशान है, लेकन सरकार के कान पर जूं नहीं रेंग रही है. सत्याग्रह फाउंडेशन नोटबंदी की वजह से मरे गये लोगों को श्रद्धा सुमन अर्पित करती है और उनकी मौत की जिम्मेदार केंद्र सरकार की निंदा करती है.
संस्था के उपाध्यक्ष खालिद आजमी ने कार्यक्रम का संचालन किया तथा अपने विचार रखते हुए कहा कि प्रधानमंत्री के नोट बंदी का फैसला देशहित में कम बीजेपी हित में ज्यादा नजर आता है जो कि यूपी और पंजाब के चुनाव के मद्देनजर उठाया गया कदम लगता है, उनकी 50 दिन की मांगी गयी मोहलत भी पूरी हो गयी है फिर भी सरकार की हड़बड़ी और नोट की गड़बड़ी ख़त्म नहीं हुई है.
महिला समाजसेविका श्रीमती संतोष श्रीवास्तव ने कहा कि जो महिला परिवार के बुरे समय के लिये घर में पैसा जमा करके रखीं थी प्रधानमंत्री ने उसे भी कालाधन
बता दिया, सरकार की निंदा करते हुए उन्होंने कहा कि नोट बंदी से घरेलू महिलाओं को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है.
संस्था के संगठन मंत्री चौधरी सलमान कादिर ने केंद्र सरकार को हत्यारा बताते हुए कहा कि नोट बंदी का फैसला महज चंद लोगों के फायदे के लिये लिया गया है, इस तानाशाही सरकार को जनता की समस्या से कोई मतलब नहीं है, गरीब किसान आत्महत्या करने के लिये मजबूर हैं. व्यापारी अपना कारोबार बंद किये हुए हैं, किन्तु भारत के प्रधानमंत्री को आमजनमानस की कोई चिंता नही है. नवाब कम्बर कैसर ने केंद्र सरकार को निशाना बनाते हुए कहा कि व्यापारियों और आम जनता को हो रही परेशानी के लिए पूर्ण रूप से प्रधानमंत्री जिम्मेदार है. यदि फैसला सही नीति से लिया जाता तो आज यह स्थिति न होती.
आशुतोष मिश्रा ने कहा कि प्रधानमंत्री ने काला धन विदेश से लाने की बात की थी जो वह कभी कर नहीं सकते, ऐसे बहुत से चुनावी वादों से देश की जनता का
ध्यान भटकाने के लिये यह नोट बंदी की आड़ ली गयी है जो कि पूरी तरह से विफल साबित हुई है.
कार्यक्रम में मुख्य रूप से सुनीता रावत, सरदार कंजल जीत, राहुल शुक्ला, नरेश बाल्मीकि, संतोष श्रीवास्तव, नवीन जायसवाल, मनु सिंह, हसन अली खान, आदर्श लोधी, हिना हसन, मेराजवली खान, सलाउद्दीन, डॉ शहजाद आलम, डॉ उमंग खन्ना, शलेन्द्र तिवारी, शीला मिश्रा सहित शहर के विभिन्न बुद्धिजीवी वर्ग ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया. अंत में सभा का समापन राष्ट्रगान से हुआ.