देह व्यापार का बाजार भी हुआ कैशलेस, पेटीएम से पेमेंट ले रहीं एडल्ट वर्कर्स

नागपुर। नोटबंदी के बाद सरकार कैशलेस इकोनॉी पर जोर देते हुए डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा दे रही है। इसका असर भी नजर अाने लगा है। हालांकि अब भी कई जगहों पर ऑनलाइन पेमेंट शुरू नहीं हुआ है लेकिन नागपुर के रेड लाइट एरिया में जरूर कैशलेस होने के निशान नजर आने लगे हैं।

शहर के गंगा जमुना रेड लाइट एरिया में बने इन वर्कर्स के घरों के बाहर एक पर्चा टंगा है जिस पर लिखा है, ‘Paytm accepted here।’ हालांकि यहां की एडल्‍ट वर्कर का कहना है कि वे इस बात से अंजान हैं कि यह पर्चे यहां क्‍या कर रहे हैं।

यहां रहने वाले एक शख्‍स ने बताया, ‘इनको एटीएम समझ नहीं आता पेटीएम क्‍या समझ में आएगा।‘ मोबाइल फोन के जरिए पैसे की भुगतान पर आश्‍चर्य जताती एक एडल्‍ट वर्कर ने बताया, ‘ये पर्चे रेड क्रॉस ने लगाए हैं। कुछ सरकारी योजनाओं के तहत हम इसके जरिए पैसे पाएंगे।‘

वहीं कोने पर एक पान की दुकान में भी पेटीएम कोड के साथ कार्ड था। कई एडल्‍ट वर्कर के हाथों में एंड्रायड फोन देखा जा सकता है। कैश की किल्‍लत से देह व्‍यापार भी प्रभावित हुआ इसलिए ही यहां भी इलेक्‍ट्रॉनिक वॉलेट की शुरुआत हुई है।

रेड क्रॉस से जुड़ी सेक्‍स वर्कर के बैंक अकाउंट हैं लेकिन वे नेट बैंकिंग व अन्‍य सुविधाओं से अवगत नहीं। ग्‍वालियर की एक एडल्‍ट वर्कर, रानी ने पूछा, ‘पेटीएम क्‍या है? करीब एक माह से इस तरह की नोटिस है। लेकिन हममें से किसी को यह नहीं पता।‘

हालांकि सूत्रों के अनुसार इनमें से कुछ ने पेमेंट के लिए इसका इस्‍तेमाल शुरू कर दिया है। ओडिशा की एडल्‍ट वर्कर ने बताया, ‘पिछले दो माह काफी मुश्‍किल थे। यहां तक कि हम बच्‍चों की फीस का भुगतान भी नहीं कर पा रहे थे। इससे पहले हम प्रतिदिन एक से डेढ़ हजार रुपये कमा लेते थे। पुलिस की पेट्रोलिंग से स्‍थिति और भी खराब हो गई।‘

नागपुर के रेड क्रॉस सोसायटी के सचिव, डॉक्‍टर आरपी सिंह ने बताया, ‘पेटीएम एजेंट मदद के लिए हमारे पास आए क्‍योंकि वे अपना प्रोडक्‍ट इस एरिया में उपलब्‍ध कराना चाहते थे। हालांकि हमने उन्‍हें सहायता का आश्‍वासन नहीं दिया है।

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