भारत की ओर से पाक अधिकृत कश्मीर में किए गए लक्षित हमले के बाद पाकिस्तान की बौखलाहट लगातार बढ़ती गई है। इस दौरान पाकिस्तानी सेना करीब साठ बार संघर्ष विराम का उल्लंघन कर चुकी है। मंगलवार को जम्मू-कश्मीर की सीमा से सटे विभिन्न इलाकों में पाकिस्तानी फौज ने मोर्टार बम से हमले शुरू कर दिए, जिसमें आठ नागरिक मारे गए और करीब इक्कीस लोग घायल हो गए। इसके जवाब में भारतीय सेना ने भी गोले दागे और पाकिस्तान की चौदह रेंजर चौकियों को ध्वस्त कर दिया। इसमें दो पाकिस्तानी सैनिक मारे गए। संघर्ष विराम के उल्लंघन पर भारत सरकार ने पाकिस्तान के उप-उच्चायुक्त को तलब किया। उड़ी सेक्टर में भारतीय पुलिस चौकी पर हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान को अलग-थलग करने की भारत की कोशिशों के चलते उसकी हताशा बढ़ती जा रही है।
आतंकवाद पर नकेल कसने के मामले में उसके ढुलमुल रवैए को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने नाराजगी जाहिर की है। सार्क सम्मेलन रद्द हो गया। पाकिस्तान को छोड़ कर भारत के समीपवर्ती सभी देशों ने एक अलग संगठन बनाने का फैसला कर लिया है। अमेरिका से उसकी दूरी पहले ही बढ़ चुकी है। एकमात्र चीन उसे शह दे रहा है, पर पाकिस्तान जानता है कि उसके साथ तभी तक दोस्ती निभने वाली है, जब तक चीन के स्वार्थ पूरे होते रहेंगे। ऐसे में पाकिस्तान अपनी खीझ मिटाने के लिए लगातार सीमा पर तनाव का माहौल बनाए रखने की कोशिश कर रहा है। एक तरह से उसने युद्ध की स्थिति पैदा कर दी है।
उसकी हताशा का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पाकिस्तान ने अपने यहां दिखाए जाने वाले भारतीय चैनलों पर प्रतिबंध लगा दिया है। मंगलवार को ही एक अमेरिकी चैनल का लाइसेंस इसलिए रद्द कर दिया गया कि वह हिंदी में डब किया हुआ कार्यक्रम प्रसारित कर रहा था। हालांकि इससे अंतरराष्ट्रीय समुदाय में उसे और किरकिरी झेलनी पड़ेगी। मगर पाकिस्तान में लोकतंत्र एक तरह से सेना और कट्टरपंथी ताकतों के आगे समर्पण कर चुका है, इसलिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय में देश की स्थिति बेहतर बनाने की चिंता करने वाला वहां कोई नहीं है। पूरी दुनिया में आतंकवाद से लड़ने को लेकर एकजुटता बनाने की कोशिश हो रही है। तमाम अंतरराष्ट्रीय संगठन अपने मंचों से इसकी अपील करते रहे हैं। बार-बार दोहराया जाता रहा है कि आतंकवाद तरक्की की राह का रोड़ा है। मगर पाकिस्तान इस बात पर कान देने को तैयार नहीं दिखता। जबकि वह खुद आतंकवाद के चलते काफी परेशानियों का सामना कर रहा है। दहशतगर्द वहां के अति सुरक्षित माने जाने वाले ठिकानों में भी घुस कर गोलीबारी कर सैकड़ों लोगों को मार डालते हैं। मगर वहां की सरकार जैसे पंगु बनी रहती है।
दरअसल, पाकिस्तान सरकार नीतिगत फैसले खुद नहीं कर पाती। वह वही करती है जो वहां की सेना, खुफिया एजंसी आइएसआइ और कट््टरपंथी ताकतें कहती हैं। इसलिए भारत के साथ संघर्ष विराम के उल्लंघन पर वह कोई फैसला कर पाने में असमर्थ है। पाकिस्तानी सेना इस कदर ताकतवर हो चुकी है कि कोई भी सरकार उसे अपने ढंग से संचालित नहीं कर सकती। वह एक तरह से समांतर सरकार चलाती है। वह भारत के खिलाफ तनाव का माहौल बनाए रख कर अपनी अहमियत कायम रखना चाहती है। ऐसे में अगर पाकिस्तान सरकार सचमुच देश में अमन और तरक्की को लेकर गंभीर है तो उसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय से दहशतगर्दी के खिलाफ मदगद की गुहार लगानी चाहिए।
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