नोटबंदी और जीएसटी में है अर्थव्यवस्था बदलने की क्षमता- आरबीआई

बैंकों की संपत्ति गुणवत्ता और खराब हुई है। सूचीबद्घ वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) का ग्रॉस नन-परफॉर्मिंग एडवांस (जीएनपीए) यानी खराब कर्ज और बढ़कर सितंबर में 9.1 फीसदी हो गया, जो मार्च में 7.8 फीसदी था। यह बात भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बृहस्पतिवार को कही। आरबीआई ने फाइनेंसियल स्टैबिलिटी रिपोर्ट (एफएसआर) में कहा कि इसके कारण समग्र तनाव ग्रस्त ऋणों का अनुपात बढ़कर 12.3 फीसदी हो गया है, जो पहले 11.5 फीसदी था। आरबीआई ने यह भी कहा कि तनाव जांच के मुताबिक जीएनपीए और बढ़कर मार्च 2017 में 9.8 फीसदी और मार्च 2018 में 10.1 फीसदी पर पहुंच सकता है। सरकारी बैंकों के लिए आरबीआई ने कहा कि मार्च 2017 तक उनका जीएनपीए बढ़कर 12.5 फीसदी पर और मार्च 2018 तक बढ़कर 12.9 फीसदी पर पहुंच सकता है, जो सितंबर 2016 में 11.8 फीसदी पर पहुंच गया है।
नोटबंदी और जीएसटी में अर्थव्यवस्था बदलने की क्षमता
मुंबई। आरबीआई ने बृहस्पतिवार को कहा कि नोटबंदी से लोगों को हो रही असुविधा और विकास पर इसके क्षणिक प्रतिकूल प्रभाव के बावजूद जीएसटी और नोटबंदी में अर्थव्यवस्था बदलने की क्षमता है। आरबीआई ने यह भी कहा कि बैंकों की परिसंपत्ति गुणवत्ता में लगातार गिरावट की वजह से जोखिम बढ़े हैं।  हालांकि 2016-17 में कारपोरेट क्षेत्र के वित्तीय प्रदर्शन में सुधार आया है लेकिन अभी भी कम कारोबार का जोखिम बना हुआ है। ये सब बातें रिपोर्ट ऑन ट्रेंड एंड प्रोग्रेस ऑफ बैंकिंग इन इंडिया 2015-16 और वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट के 14वें अंक में कही गईं।

एमएसएमई को अतिरिक्त संचालन पूंजी दें बैंक
नोटबंदी से प्रभावित लघु और मध्यम उद्यमों को राहत देते हुए रिजर्व बैंक ने बृहस्पतिवार को एक अधिसूचना जारी कर कहा कि बैंकों को सलाह दी जाती है कि बोर्ड की मंजूरी के साथ वे एमएसएमई ऋणधारकों को अतिरिक्त कामकाजी पूंजी सीमा प्रदान करने की सुविधा का उपयोग कर सकते हैं। आरबीआई ने कहा कि यह सुविधा 31 मार्च तक के लिए है और उसके बाद अगले मूल्यांकन चक्र में इसे सामान्य कर दिया जाए।

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