नोटबंदी से अब तक 40 लोगों की जान गई, नोटबंदी ने मचाया उथल-पुथल

देश – में नोटबंदी से होने वाली मौतों का सिलसिला थम नहीं रहा है. बीते कुछ दिनों में अब तक करीब 40 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है. आशंका है कि आंकड़े इससे कहीं ज्यादा भी हो सकते हैं.
लोगों की मौत हार्ट अटैक और खुदकुशी से ज्यादा हुई हैं. आम लोगों के जीवन में उथल-पुथल मचा देने वाले नोटबंदी के फैसले ने अकेले उत्तर प्रदेश में ही 11 लोगों की जान ले ली है.
केंद्र सरकार ने नोटबंदी का ऐतिहासिक फैसला लिया. इसके पीछे मकसद था कालेधन पर रोक लगाना, लेकिन दस दिनों में ही इसके साइड इफ़ेक्ट देखने को मिले.
नोटों का ‘ब्लैक आउट’ होना कई लोगों के लिए ‘लाइफ आउट’ बन गया है. कागज के नोट इंसानों की जान पर भारी पड़ रहे हैं. महंगाई ने तो मारा ही था फिर डेंगू ने और अब नोटबंदी ने मारा है.

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खुश तो सभी हैं कि बेईमानी खत्म होगी, भष्ट्राचार खत्म होगा पर फैसले को लागू करने के तरीकों ने पिछले दस दिनों में पूरे देश में भूचाल ला दिया है.
किसानों को खेती की चिंता ने मारा, तो बेटी की शादी की चिंता ने कई पिताओं को मार दिया. कई लाइन में खड़े-खड़े हार्ट अटैक से मर गए, तो किसी को बैंक में काम के दबाव ने मार डाला.
कुछ अचानक से लागू किए फैसले से जूझ नहीं पाए तो उन्होंने खुद ही अपनी जीवन लीला खत्म कर ली. इतनी मौतें और देश में मचे हाहाकार के बाद सरकार थोड़ा जागी और शादी वाले घरों, किसानों को थोड़ी रियायत दी गई.

इन जगहों पर हुई मौतें

पिछले दस दिनों में नोटबंदी पर सरकार की जरा सी जल्दबाजी ने जिन घरों में खुशियों की जगह मातम पसार दिया है, उनकी बानगी कुछ इस तरह है.
प्रदेश के बुलंदशहर में एक किसान ने घर में फांसी लगाकर जान दे दी. उसकी बेटी की शादी थी. नोट बदलने बैंक गया था लेकिन भीड़ की वजह से खाली हाथ लौटना पड़ा था. ओडिशा में दो साल के बीमार मासूम को इसलिए नहीं बचाया जा सका, क्योंकि ऑटो ड्राइवर ने उसे अस्पताल ले जाने से मना कर दिया था.

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झारखंड में तीन लोगों की जान चली गई. 70 साल की लक्ष्मी की मौत उस वक्त हो गई जब उसे अपने 20 साल के पोते लवकुश की मौत की खबर मिली. लवकुश के पिता दिहाड़ी मजदूर हैं और उन्हें बीते कुछ दिनों से काम नहीं मिला है.
मोहम्मदगंज में स्टेट बैंक की शाखा के सामने चार घंटे तक लाइन में लगने वाले रामचंद्र पासवान की मौत हो गई. मुंबई में गोवंदी इलाके में शिशु की मौत अस्पताल में नोट नहीं दे पाने की वजह से हो गई. मुंबई के ही मुलुंड में बैंक के बाहर कई घंटे से कतार में खड़े 73 वर्षीय बुजुर्ग की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई.
असम में 52 साल के दीनबंधु ने बेटी की शादी के लिए बैंक से बड़ी संख्या में धन निकाला था. उन्हें गहरा सदमा लगा और अस्पताल ले जाते समय उनकी मौत हो गई. असम के जोरहाट में एक व्यापारी की मौत इन्हीं हालात में हुई. नोटबंदी के फैसले के ऐलान के बाद वह अवसाद में चला गया था.
पश्चिम बंगाल में तनाव में चल रहे एक आदमी ने अपनी पत्नी को दसवीं मंजिल से नीचे फेंक दिया क्योंकि कई घंटे एटीएम की लाइन में लगने के बाद वह खाली हाथ घर लौट आई थी. कर्नाटक के गांव में 93 साल के गोपाल शेट्टी बैंक के बाहर लंबी कतार में लगे थे. खड़े-खड़े गिर गए और उनकी मौत हो गई.

किसानों के सामने सबसे बड़ी दिक्कत

नोटबंदी से किसानों के सामने सबसे बड़ी दिक्कत है. रबी फसल की बुआई का समय शुरू हो गया है लेकिन पैसे की किल्लत से किसान भुखमरी की स्थिति में है.
बांदा, हापुड़, लखीमपुर खीरी, कासगंज, बस्ती, हरदोई, सहारनपुर, मथुरा, हमीरपुर और शायद ही कोई जिला बचा हो जहां किसान इस फैसले की मार न झेल रहा हो. नकदी पर आधारित कृषि अर्थव्यवस्था के लिए बहुत ही संकट की घड़ी है. बीजों का संकट, खेतिहर मजदूरों का भुगतान, खाद, कीटनाशक की खरीदारी, उत्पादों की खरीद-फरोख्त सभी कुछ तो नगदी के भरोसे होती है.
मंडियों में सन्नाटा है. आलू के बीज सड़ने की कगार पर हैं. जरूरी वस्तुओं की कीमतें बढ़ सकती हैं. डिमांड और सप्लाई की खाई रोज गहराती जा रही है. देवरिया के रुद्रपुर में खाद की खरीदारी को लेकर खूनी संघर्ष छिड़ गया. कई लोग घायल हो गए और हालात को काबू करने के लिये फोर्स तैनात करना पड़ी.

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लखनऊ में जिस खुशबू के हाथों में शादी की मेहंदी रचनी थी, वह सगाई से एक दिन पहले सुबह से शाम तक हाथों में शादी का कार्ड लिए बैंक की लंबी लाइन में खड़ी रही.
प्रधानमंत्री मोदी के गोद लिए जयापुर गांव में देर तक लाइन में खड़े होकर थकान झेल रहे लोगों ने तो बड़ा अनोखा रास्ता निकाला. उन्होंने अपनी जगह पर चप्पलों को ही कतार में लगा दिया..
देश में संसद से सड़क तक संग्राम छिड़ा

सरकार के इस फैसले के खिलाफ सड़क से लेकर संसद तक संग्राम छिड़ा है. विपक्षी पार्टियां सरकार के इस फैसले के खिलाफ लामबंद हो गई हैं. सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि पीएम कहते हैं कि किसान क्रेडिट कार्ड से खाना खाएं. तो वहीं कांग्रेस सांसद आनंद शर्मा ने कहा कि किसान धोती में क्रेडिट कार्ड नहीं रखता.
विपक्ष के बाद लोगों का गुस्सा भी सड़कों पर फूट पड़ा और राजनीतिक दल जनता की परेशानी भुनाने की कोशिश करने लगे. सरकार कालेधन वालों को लाइन पर लाने के साथ-साथ लाइन में खड़ी देश की गरीब और आम जनता की परेशानियों को जल्द दूर नहीं कर पाई तो आने वाले दिन कुछ और ही भयावह कहानी कह सकते हैं.

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