दोनों सदनों में गूंजा नोटबंदी से हो रही परेशानियों का मुद्दा

नागपुर- विधानमंडल अधिवेशन के पहले ही दिन दोनों सदनों में नोटबंदी का मुद्दा छाया रहा। विपक्ष इस मुद्दे पर सदन के सारे कामकाज रोक कर विस्तृत चर्चा की मांग पर अड़ा रहा। जबकि सत्तापक्ष ने नोटबंदी के फैसले को नई अर्थव्यवस्था के लिए जरूरी बताया। विपक्षी सदस्यों के हंगामें के कारण दोनों सदनों की कार्यवाही कई बार बाधित हुई।
सोमवार को कार्यवाही शुरू होते ही विधानपरिषद में नेता प्रतिपक्ष धनंजय मुंडे ने नियम 289 के तहत नोटबंदी के बाद राज्य में बिगड़े हालात पर चर्चा की मांग की। नेता प्रतिपक्ष मुंडे, कांग्रेस सदस्य नारायण राणे और शेकाप सदस्य जयंत पाटील ने सरकार को यह बताने की कोशिश की कि नोटबंदी के कारण आम जनता, किसान व सहकारी बैंक की व्यवस्था किस कदर लड़खड़ा गई है। सभापति रामराजे निंबालकर ने नियमों का हवाला देकर चर्चा की अनुमति देने से इनकार किया। इस पर विपक्षी सदस्य वेल में पहुंचकर हंगामा करने लगे। इसके कारण कार्यवाही 15 मिनट के लिए स्थगित कर दी गई।
पहले दिन चर्चा या कामकाज की इस तरह की परंपरा नहीं : बागड़े
वहीं, विधानसभा में भी विपक्ष ने नोटबंदी पर विस्तृत चर्चा की मांग की। अध्यक्ष हरिभाऊ बागड़े ने दूसरे दिन चर्चा करने के लिए कहा। उनका कहना था कि पहले दिन चर्चा या कामकाज की इस तरह की परंपरा नहीं रही है। इसके बाद विपक्ष ने सदन से बहिर्गमन किया। हालांकि उस दौरान सदन का कामकाज जारी रहा और कुछ अध्यादेश सदन पटल पर रखे गए।
विपक्ष का विधानसभा से बहिर्गमन
विधानसभा में विपक्ष के हंगामें के बीच वित्तमंत्री मुनगंटीवार ने कहा कि सरकार की सहायता के कारण ही शहरों से लेकर गड़चिरोली जैसे पिछड़े क्षेत्रों तक समय पर नए नोट पहुंच पाए हैं। उन्होंने कहा कि अधिवेशन के पहले दिन कामकाज में प्रश्नोत्तर या स्थगन प्रस्ताव जैसे विषयों पर आमतौर पर चर्चा नहीं होती है, फिर भी विपक्ष की मांग पर अध्यक्ष हरिभाऊ बागड़े ने नियम 97 के तहत नोटबंदी पर बोलने की अनुमति दी। वित्तमंत्री के बयान से विपक्ष सहमत नहीं हुआ और सदन से बहिर्गमन किया। बाद में दिवंगत सदस्यों को श्रद्धांजलि के समय विपक्षी सदस्य सदन में उपस्थित हुए। नेता प्रतिपक्ष राधाकृष्ण िवखेपाटील ने कहा कि नोटबंदी का प्रभाव सबसे ज्यादा किसानों पर पड़ा है। उन्होंने कहा कि पहले किसान हत्या के मामले पर आघाड़ी सरकार पर हत्या का प्रकरण दर्ज कराने की मांग करने वाले नेता अब मुख्यमंत्री व िवत्तमंत्री हैं। प्रश्न है कि इन पर कौन सा प्रकरण दर्ज हो। शेकाप सदस्य गणपतराव देशमुख ने कहा नोटबंदी के मामले पर राज्य को केंद्र से जानकारी पाने के लिए निवेदन करना चाहिए।
इधर, नोटबंदी पर संसद में भी गतिरोध जारी, 13वें दिन नहीं हो सका काम
एजेंसी|नई दिल्ली, नोटबंदी पर चर्चा के मुद्दे पर संसद के शीतकालीन सत्र में सरकार और विपक्ष के बीच गतिरोध जारी है। सोमवार को 13वें दिन भी संसद में हंगामे के बीच कामकाज नहीं हो सका। सोमवार की सुबह लोकसभा का सत्र शुरू होते ही विपक्ष ने नियम-184 के तहत चर्चा की मांग पर हंगामा शुरू कर दिया। लेकिन सरकार नियम 193 के तहत चर्चा कराने पर अड़ी रही। इसकी वजह से सोमवार को भी सदन कोई काम नहीं हो सका और अध्यक्ष सुमित्रा महाजन को भारी हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही दिनभर के स्थगित करनी पड़ी। इससे पहले भी सदन को दो बार स्थगित करना पड़ा।
नियम 184 में मत विभाजन का प्रावधान है जबकि नियम 193 में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। राज्यसभा में सरकारी कर्मचारियों को वेतन नहीं मिलने और पेंशनभोगियों को पेंशन नहीं मिलने का आरोप लगाते हुए विपक्ष ने हंगामा किया। दोपहर तक माहौल साol_1480988669मान्य नहीं हुआ तो कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई।
किसानों को न हो परेशानी, सरकार रखे ध्यान
विधानसभा में राकांपा के गट नेता अजीत पवार ने कहा कि नोटबंदी के कारण िकसानाें पर संकट आया है। कालेधन या भ्रष्टाचार के मामले में जांच होनी चाहिए, लेकिन इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि किसानों को किसी प्रकार की परेशानी न हो। उन्होंने कहा कि पिछले दिनों मारे गए आतंकी के पास 2000 के नए नोट मिले। प्रश्न है कि आतंकियों तक भारतीय मुद्रा कैसे पहुंच रही है?
सरकार ने कहा- जरूरी था नोटबंदी का फैसला, विपक्ष बोला- परेशानियों को देखते हुए चर्चा भी जरूरी
1000 व 500 के पुरानों नोटों को चलन से बाहर किया जाना नई अर्थव्यवस्था के लिए जरूरी था। नोटबंदी के बाद सरकार ने रिजर्व बैंक को नोट पहुंचाने व सुरक्षा के मामले में संसाधन उपलब्ध कराने के लिए पत्र लिखा है। सरकार की सक्रियता के कारण ही दूर-दराज के क्षेत्रों में नए नोट पहुंच पाए हैं।”
-सुधीर मुनगंटीवार, वित्तमंत्री
नोटबंदी के कारण किसान परेशान हैं और वे कृषि उत्पाद नहीं बेच पा रहे हैं। भ्रष्टाचार रोकने व कालाधन बाहर लाने के लिए नोटबंदी के केंद्र के निर्णय का विरोध नहीं है, लेकिन देखा जा रहा है कि नोटबंदी का प्रभाव सबसे अधिक सामान्य जनों पर पड़ रहा है। इसको देखते हुए चर्चा होनी चाहिए।”
– राधाकृष्ण िवखेपाटील, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष

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