लंदन। वैज्ञानिकों ने एक नई टेक्नोलॉजी को विकसित किया है, जो स्वच्छ ऊर्जा के उत्पादन के लिए परमाणु कचरे का उपयोग करता है। शोधकर्ताओं ने कहा कि इस विकास से परमाणु कचरे के निपटारे की समस्या में कुछ हद तक मदद मिल सकती है।
इसके साथ ही यह स्वच्छ बिजली के उत्पादन और बैटरी लाइफ की समस्या को भी हल कर सकता है। ब्रिटेन के ब्रिस्टल विश्वविद्यालय में शोधकर्ताओं ने एक कृत्रिम हीरे का निर्माण किया है। इसे रेडियोधर्मी क्षेत्र में रखने पर यह थोड़ी सी विद्युत धारा उत्पन्न करने में सक्षम है।
बिजली उत्पादन प्रौद्योगिकियों में ऊर्जा एक कॉइल वायर के जरिये मैग्नेट से होकर गुजरती है। इसके विपरीत मानव निर्मित हीरे को रेडियोधर्मी स्रोत के करीब रखने पर आसानी से करेंट पैदा होता है।
इसमें कोई भी मूविंग पार्ट्स नहीं होते हैं और उत्सर्जन भी नहीं होता है। इसमें बैटरी के रख-रखाव की जरूरत भी नहीं होती है। विश्वविद्यालय के इंटरफेस एनालिसिस सेंटर के प्रोफेसर टॉम स्कॉट ने कहा कि इस प्रक्रिया में सीधे बिजली का उत्पादन होता है।
स्कॉट ने कहा कि हीरे के अंदर रेडियोधर्मी सामग्री को रखने पर हम लंबे समय से परमाणु कचरे की समस्या को हल करते हुए लंबे समय पत स्वच्छ ऊर्जा पा सकते हैं। टीम एक प्रोटोटाइप हीरे की बैटरी का प्रदर्शन किया, जिसमें रेडिएशन सोर्स के रूप में निकल-63 का उपयोग किया गया।