आय छुपाने वाले पति द्वारा पत्नी को तीन गुना गुजारा भत्ता देने का निर्देश : बाॅम्बे हाईकोर्ट

मुंबई- अदालत से आय छुपाने वाले पति द्वारा पत्नी को तीन गुना गुजारा भत्ता देने का निर्देश बाॅम्बे हाईकोर्ट ने दिया है। अब तक पति अपनी पत्नी को हर माह सात हजार रुपए बतौर गुजारा भत्ता देता था, पर अदालत ने महसूस किया कि पति अपनी आय छुपाने का प्रयास कर रहा है तो उसे पत्नी को हर महीने 25 हजार रुपए गुजारे भत्ते के रूप में देने का अंतरिम आदेश दे दिया है।
वर्ष 2005-06 के दौरान जब पति-पत्नी साथ रहते थे, उस वक्त पति की सालाना आय 46 लाख रुपए थे लेकिन जैसे ही दोनों में अनबन हुई और पत्नी ने गुजारे भत्ते की रकम के लिए अदालत में आवेदन किया तो पति ने 2006-07 के आयकर के रिटर्न में अपनी सालाना आय दो लाख रुपए दिखाई। जबकि इसके एक साल पहले उसने अपनी सालाना आमदनी 46 लाख रुपए दिखाई थी। न्यायमूर्ति वीएम कानडे व न्यायमूर्ति नूतन सरदेसाई की खंडपीठ ने कहा कि यह एक आम धारणा बन गई है जैसे ही पत्नी गुजारे भत्ते की मांग को लेकर अदालत में अावेदन करती है वैसे ही या तो पति की नौकरी छूट जाती है या फिर उसके कारोबार से आनेवाली आमदनी में बेतहाशा गिरावट आ जाती है।

 

 

जबकि पत्नी व बच्चे की देखरेख करना हर पति व पिता का नैतिक और कानूनी दायित्व है। विवाद कीhhu_1480380551 स्थिति में पति को पत्नी से परेशानी हो सकती है लेकिन बच्चे को कष्ट में डालना कहा तक उचित है। मुंबई के चेंबूर इलाके में रहनेवाली पत्नी ने खंडपीठ को बताया कि उसके दो बच्चे है। बेटा इंटरनेशनल स्कूल में पढ़ता है और बेटी सरकारी स्कूल में पढ़ती है। पारिवारिक अदालत ने पत्नी को सात हजार रुपए गुजारे भत्ते की रकम का आदेश दिया है। जो पर्याप्त नहीं है। इसलिए गुजारे भत्ते की रकम में बढ़ोतरी की जाए। उसका पति पेशे से अर्किटेक्ट है। पति के वकील ने कहा कि उसका मुवक्किल अर्किटेक्ट नहीं बल्कि मजदूर उपलब्ध करानेवाला ठेकेदार है। वह अपने भाई के साथ रहता है। उसकी आय इतनी नहीं है कि वह पत्नी को ज्यादा गुजारा भत्ता दे सके। पति के वकील की दलीलों से असंतुष्ट खंडपीठ ने पति को 2001 से 2005 तक अपना आयकर रिटर्न पेश करने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि पति अपने भाई का भी आयकर रिट
र्न अदालत में पेश करे। खंडपीठ ने फिलहाल मामले की सुनवाई 20 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दी है।
महाधिवक्ता की नियुक्ति न होने पर हाईकोर्ट नाराज
बाॅम्बे हाईकोर्ट ने आठ महीने से रिक्त पड़े राज्य के महाधिवक्ता पद पर किसी की नियुक्ति न किए जाने पर राज्य सरकार के प्रति कड़ा रुख अपनाया है। हाईकोर्ट ने कहा कि लंबे समय से यह पद खाली होने के कारण सरकार के कई वैधानिक कामकाज प्रभावित हो रहे है। न्यायमूर्ति अभय ओक व अनुजा प्रभुदेसाई की खंडपीठ ने कहा कि राज्य के महाधिवक्ता की नियुक्ति न होने के चलते न्यायिक कामकाज भी प्रभावित होता है।

इससे आम जनता की मुश्किलें बढ़ती हैं। अब समय आ गया है कि सरकार जल्द से जल्द राज्य के महाअधिवक्ता की नियुक्ति करे। राज्य के महाधिवक्ता की नियुक्ति का निर्देश देने की मांग को लेकर कांग्रेस विधायक संजय दत्त ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। सुनवाई के दौरान नियुक्ति को लेकर सरकार के रुख से नाराज खंडपीठ ने सरकार को इस मामले में दो सप्ताह के भीतर हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है। खंडपीठ ने फिलहाल मामले की सुनवाई 13 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दी है। गौरतलब है कि हरि अणे ने 22 मार्च 2016 को राज्य के महाधिवक्ता के पद से इस्तीफे के बाद से यह रिक्त है। फिलहाल सरकार कार्यवाहक महाधिवक्ता से कार्य चला रही है।

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