भारतीय संस्कृति सदियों से परंपरा और रीति रिवाजों के कारण जानी जाती है। यही नहीं दुनियाभर में हम अपनी इन्हीं विशेषताओं के कारण ही एक अलग पहचान बनाए हुए हैं। भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से गुरु-शिष्य चली आ रही है। यह हिन्दू, सिख, जैन और बौद्ध धर्मों में समान रूप से पायी जाती है।
बिना किसी परेशानी के पूर्वजों द्वारा दी आज्ञा निरंतर जारी रहने की भी परंपरा है। इसमें किसी विषय का ज्ञान बिना किसी परिवर्तन के एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ियों में सदियों तक चलता रहता है। जब कोई व्यक्ति अपने निजी स्वार्थ के चलते इन परंपराओं में अंधविश्वास, जादू-टोने का जहर मिलाता है तो यह कुप्रथाएं बन जाती हैं।
परंपराएं हमारे पूर्वजों द्वारा निर्मित हैं। यह सदियों से निरंतर जारी हैं। इन परंपराओं के पीछे उद्देश्य यह था कि हम अपनी संस्कृति, रीति-रिवाज और भारतीय संस्कारों को न भूलें। ये भारतीय संस्कार हैं जिनके कारण हम संपूर्ण विश्व में अपनी एक अलग पहचान बनाए हुए हैं।
दरअसल, परंपराएं का रुपांतरण कुप्रथाओं में बदलाव कुछ नकारात्मक लोगों द्वारा किया जाता है। जो परंपराओं की छांव में लालच, असहिष्णुता और कई तरह की सामाजिक विसंगतियों की पूर्ति करना चाहते हैं। हालांकि यह काफी हद तक अपने कार्य में सफल भी हो जाते हैं।
ऐसे में हमें वास्तविक परंपराओं को ही जीवित रखना चाहिए। कुप्रथाओं का अंत देश, समाज और परिवार सभी के लिए मंगलकारी है।