इलाहाबाद. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि शादीशुदा स्त्री पराये पुरुष के साथ लिव-इन रिलेशन में नहीं रह सकती। बालिग व गैर शादीशुदा स्त्री ही इस तरह का जीवन यापन कर सकती है। हालांकि यह अनैतिक होगा। कोर्ट ने शादीशुदा याची को अपने प्रेमी के साथ लिव-इन रिलेशन में रहने के लिए संरक्षण देने से इन्कार करते हुए याचिका खारिज कर दी है।
यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार ने मिर्जापुर की कुसुम की याचिका पर दिया है। याची का कहना था कि उसकी शादी 30 मई, 16 को उसकी मर्जी के खिलाफ संजय कुमार के साथ हुई है। वह पिछले 5 वर्षों से अपने प्रेमी के साथ लिव-इन रिलेशन में रह रही है। दोनों पति-पत्नी की तरह से रह रहे हैं किंतु परिवार वाले उसे परेशान कर रहे हैं, उन्हें रोका जाए। कोर्ट ने कहा कि पति-पत्नी को ही सह-संबंध बनाने की कानूनी मान्यता है। यदि कोई दूसरा पुरुष किसी की पत्नी के साथ संबंध बनाता है तो यह अपराध है।
सुप्रीम कोर्ट ने इन्द्रा शर्मा बनाम वीकेवी शर्मा केस में स्पष्ट किया है कि शादीशुदा स्त्री पति से अलग किसी पुरुष से संबंध नहीं बना सकती। स्वतंत्र गैर शादीशुदा या तलाकशुदा स्त्री पुरुष ही लिव-इन रिलेशन में रह सकते हैं। यह किसी भी समय समाप्त हो सकता है। ऐसे संबंध को नैतिक नहीं कहा जा सकता। कोर्ट ने शादीशुदा स्त्री के साथ लिव-इन रिलेशन में रह रहे याची को संरक्षण पाने का हकदार नहीं माना और याचिका खारिज कर दी।