पिछले 6 सालों में मिलीं आजादी समर्थकों की करीब 1000 लाशें

बलूचिस्तान में आजादी की मांग करने वाले और राजनीति कार्यकर्ताओं पर पाकिस्तान की सुरक्षा एजेंसियों की ज्यादतियों का काला चिट्ठा सामने आया है। केंद्रीय मानवाधिकार मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 6 सालों में आजादी की मांग करने वालों के करीब 1000 शव मिले।

बीबीसी उर्दू ने पाक के केंद्रीय मानवाधिकार मंत्रालय के आंकड़ों के आधार पर बताया है कि अधिकतर शव क्वेटा, कलात, खुजदर और मकरान से मिले हैं, जहां पर बलूचिस्तान की आजादी की मांग करने वालों का गढ़ है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि मानवाधिकार मंत्रालय के मुताबिक 2011 से अब तक कम से कम 936 शव पाए गए हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह आंकडे़ बड़े पैमाने पर गैरकानूनी तौर पर हुई हत्याओं को बयां करते हैं। मारे गए लोगों के रिश्तेदारों के अनुसार, अधिकतर पीडि़तों को सुरक्षा एजेंसियों ने उठाया था।

गौरतलब है कि इस साल के प्रारंभ में पीएम नरेंद्र मोदी ने बलूचिस्तान और पीओके में हो रहे मानवाधिकारों के उल्लंधन का मामला उठाया था।

बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, 2007 में जब बलूचिस्तान आंदोलन तेज हुआ तब से हजारों लोग लापता हैं। बलोच समूहों के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए 2005 के शुरुआत में एक सैन्य ऑपरेशन चलाया गया था। उस समय बलोच समूह निर्णय प्रक्रिया और प्राकृतिक संसाधनों के दोहन में अपनी भी भागीदारी की मांग कर रहे थे।

बलोच आंदोलन से जुडे़ लोग लंबे समय से पाक खुफिया एजेंसियों पर ‘हत्या करो और फेंको’ की नीति अपनाने का आरोप लगाते रहे हैं।

वॉयस फॉर बलोच मिसिंग पर्सन्स का कहना है कि उसके पास 1200 शवों के रिकॉर्ड हैं, जबकि बहुत सारे और मामले हैं जिनके दस्तावेज नहीं बने हैं।

बलूचिस्तान सरकार के प्रवक्ता अनवारूल हक ककर ने ऐसे मामलों में सरकारी एजेंसियों के शामिल होने के आरोपों से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि कभी-कभी सुरक्षा बलों के हाथों विद्रोही मारे जाते हैं लेकिन बाद में उनके शव मिलते हैं। आतंकी समूह आपसे में लड़ते हैं और वे अपने सदस्यों के शव नहीं दफनाते।

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