सिवान पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन को सिवान कारा से दिल्ली की तिहाड़ जेल में शिफ्ट करने को लेकर दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई। कोर्ट ने सभी दलीलों को सुनने के बाद इस मामले पर फैसला सुरक्षित रखा है। कोर्ट ने इस मामले में पक्ष और विपक्ष दोनों की दलीलें सुनीं।
विदित हो कि सिवान के चर्चित एसिड बाथ डबल मर्डर व उसके गवाह हत्याकांड में तीन बेटों को गवां चुके व्यवसायी चंदा बाबू तथा सिवान के मारे गए पत्रकार राजदेव रंजन की पत्नी आशा रंजन ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी देकर शहाबुद्दीन को सिवान जेल से तिहाड़ जेल ट्रांसफर करने की गुहार लगाई है। उन्होंने शहाबुद्दीन के मुकदमों को भी दिल्ली ट्रांसफर करने की मांग की है।
सुप्रीम कोर्ट ने शहाबुद्दीन, राज्य सरकार, बिहार पुलिस और सीबीआइ की दलील सुनने के बाद 17 जनवरी को सुनवाई की तारीख मुकर्रर की थी। कोर्ट ने आज शहाबुद्दीन से जुड़े सभी मामलों में दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं।
आशा रंजन का पक्ष उनके अधिवक्ता ने रखा। उनसे कोर्ट ने यह जानना चाहा कि क्या उन्हें शहाबुद्दीन के सिवान में रहने से कोई परेशानी है?
विदित हो कि इससे पूर्व सीबीआइ के वकील ने शहाबुद्दीन को तिहाड़ शिफ्ट करने पर सहमति दे दी थी। वहीं राज्य सरकार ने भी इस मामले में कहा था कि उसे शहाबुद्दीन को कहीं भी रखने से कोई आपत्ति नहीं है।
जेल से फोटो वायरल मामले में एफआइआर
मंडल कारा से राजद नेता व सिवान के पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन की फोटो वायरल होने के मामले में सोमवार देर शाम नया मोड़ आ गया है। जेल अधीक्षक विधु भारद्वाज ने शहाबुद्दीन सहित एक अन्य पर मुफ्फसिल थाने में इस बाबत प्राथमिकी दर्ज करवाई है।
जेल अधीक्षक ने आवेदन में कहा है कि शहाबुद्दीन के समर्थक इस तरह के फोटो वायरल कर हमेशा माहौल बिगाडऩे का प्रयास करते रहते हैं। इस बार भी शहाबुद्दीन के किसी समर्थक ने यह फोटो वायरल किया है।
वहीं सूत्रों के अनुसार इस मामले में जिसे अज्ञात बताया जा रहा है पुलिस उसका नाम छिपा रही है। क्योंकि पुलिस उसे गिरफ्तार कर पूछताछ करना चाहती है। बताते चलें कि यह प्राथमिकी डीएम द्वारा जेल आइजी को जांच रिपोर्ट भेजे जाने के बाद की गई।
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