जम्मू. जल के महत्व को समझते हुए जोधामल पब्लिक स्कूल की दसवीं कक्षा के दो होनहार छात्रों स्पर्शदीप सिंह और गौरव वर्मा ने ऐसा कारनामा कर दिखाया है जिससे जल समस्या से निपटना संभव हो सकेगा। दोनों विद्यार्थियों ने बेकार सामग्री से एक ऐसा प्रोजेक्ट तैयार किया जिसकी मदद से हवा में पानी के कणों को पीने लायक बनाया जा सकता है। इन दोनों युवा वैज्ञानिकों द्वारा तैयार किए गए प्रोजेक्ट को ऋषिकेश में आयोजित की गई राष्ट्रीय पर्यावरण प्रदर्शनी में न सिर्फ सराहा गया बल्कि प्रथम पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।
स्पर्शदीप का कहना है कि हम हमेशा से सुनते आए हैं कि ‘जल ही जीवन है,’ जल के बिना जीवन की कल्पना भी मुश्किल है। रोजमर्रा के सभी कार्यो के लिए भी पानी जरूरी है। यही वजह है कि मानव जाति के लिए जल संरक्षण अत्यंत महत्वपूर्ण हो गया है। यही कारण रहा कि हम जल संरक्षण क्षेत्र में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करना चाहते थे। प्रोजेक्ट पर काम शुरू करने से पहले हमें इंटरनेट पर इस संबंध में किए गए कार्यो पर रिसर्च भी की। अधिकतर प्रोजेक्ट में इलेक्ट्रिक एनर्जी का इस्तेमाल किया गया है, जिसके कारण इनकी कीमत इतनी अधिक है कि आम आदमी इसके इस्तेमाल को सोच भी नहीं सकता।
गौरव वर्मा ने बताया कि उन्होंने यह प्रोजेक्ट बेकार सामग्री से तैयार किया है, जिसमें पानी की बोतल, पीवीसी पाइप, तेल के पीपे, टीन, हिट कैन, खिड़की की जाली, कपड़ा, जॉनसन बेबी बॉटल पंप आदि का प्रयोग किया गया है। उन्हें यह प्रोजेक्ट तैयार करने में एक माह का समय लगा और इस पर करीब पांच सौ रुपये का खर्च आया। उन्होंने बताया कि यदि कोई व्यक्ति इस प्रोजेक्ट को अपने घर में स्थापित करना चाहता है तो तब भी इस पर दो हजार रुपये से अधिक खर्च नहीं आएगा। इसके लिए घर के लॉन में छह फुट का गड्ढा और छत पर पवन चक्की स्थापित करने के लिए दस फुट ऊंची जगह चाहिए।
पवन चक्की के नीचे टीन से तैयार पंखे हवा को अंदर खींचते हैं और पीवीसी पाइप के जरिए उसे जमीन में दबाए गए ड्रम तक ले जाते हैं। हवा में शामिल पानी के कण जमीन में ठंडे होते ही तरल रूप धारण कर ड्रम में एकत्र होना शुरू हो जाते हैं। इसमें इस्तेमाल की गई जाली, कपड़ा, रेत, कोयला पानी के कण में शामिल गंदगी को अलग कर देते हैं। यह पानी पीने के लिए पूरी तरह से स्वच्छ होगा। जिसे पंप के जरिए बाहर निकाला जा सकता है। इस प्रोजेक्ट के जरिए एक दिन में ग्यारह गैलन पानी मिल सकता है। गर्मियों में जब हवा में आर्द्रता सबसे अधिक होती है तो यह प्रोजेक्ट पानी की किल्लत को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
स्पर्शदीप सिंह और गौरव वर्मा ने बताया कि मौजूदा समय में पानी की अहमियत को समझते हुए उनके प्रोजेक्ट को ऋषिकेश में आयोजित राष्ट्रीय पर्यावरण प्रदर्शनी में खूब सराहा गया। इस प्रदर्शनी में उत्तर भारत के विभिन्न राज्यों से 90 से अधिक स्कूलों ने भाग लिया था। उन्होंने कहा कि यह प्रोजेक्ट इतना सस्ता है कि जिन इलाकों में पानी की भीषण समस्या है, वहां रहने वाले लोग इसे आसानी से स्थापित कर पानी की समस्या से कुछ हद तक राहत पा सकते हैं। दोनों छात्रों ने इस सफलता के लिए अपनी साइंस की अध्यापिका रूपेंद्र कौर और स्कूल के प्रिंसिपल त्रिलोक सिंह को श्रेय दिया।
बच्चों में छुपी प्रतिभा और उन्हें उस क्षेत्र में प्रोत्साहित करने के लिए स्कूल प्रबंधन हर संभव प्रयास करता है। सांइस प्रोजेक्ट हो, गायन हो, खेलकूद का क्षेत्र हो या फिर कोई अन्य स्कूल प्रबंधन बच्चों को समय-समय पर ऐसे अवसर प्रदान करता रहता है, जिससे उनकी छिपी प्रतिभा पहचान कर उन्हें प्रोत्साहित किया जा सके। स्पर्शदीप सिंह और गौरव वर्मा द्वारा तैयार किए गए प्रोजेक्ट को जनवरी में आयोजित होने वाली सीबीएसई राष्ट्रीय प्रदर्शनी में भी प्रदर्शित किया जाएगा।
– त्रिलोक सिंह, प्रिंसिपल।