पटना के सबसे ज्यादा चहल-पहल वाले मौर्यालोक कांप्लेक्स में शनिवार की सुबह एक ऐसी घटना सामने आई जो दो तरह से परेशान करने वाली है। यहां सेंट्रल बैंक का एटीएम लूटने में नाकाम बदमाशों ने गार्ड कुंदन कुमार मालाकार उर्फ पप्पू की गला रेतकर हत्या कर दी। वारदात शुक्रवार को आधी रात के बाद हुई। हालांकि, बदमाश एटीएम को क्षतिग्रस्त करने के बावजूद लूटपाट में नाकाम रहे। इससे स्पष्ट है कि गार्ड के विरोध करने पर वे लूटपाट नहीं कर सके, परंतु निहत्था गार्ड बेरहमी से मार डाला गया। पटना के अन्य अंधेरे और पुलिस थाने से दूर सैकड़ों एटीएम में ऐसे गार्ड तैनात रहते हैं, जिनके पास डंडा तक नहीं होता। यह घटना ऐसे सुरक्षा कर्मियों को भयभीत करने वाली है। नोटबंदी के बाद आशंका व्यक्त की जा रही थी कि एटीएम बदमाशों के निशाने पर हैं। यह घटना कोतवाली थाने से बमुश्किल सौ मीटर दूरी पर हुई और पुलिस को भनक तक नहीं लगी। लापरवाही के आरोप में कोतवाली के प्रभारी को हटा दिया गया है, लेकिन ऐसी किसी सजा से उस अमर कुमार को पिता का प्यार नहीं मिल पाएगा, जो सुबह एटीएम में लाश देखकर चिल्ला रहा था। सुबह सात बजे गार्ड का बेटा पिता से मिलने आया था। शटर उठाकर केबिन के अंदर घुसते ही खून से सनी पिता की लाश दिखी।
इस सनसनीखेज वारदात में कोतवाल को हटाकर पुलिस ने यह भी मान लिया है कि ठंड में गश्ती को सघन करने के निर्देश के बावजूद सुस्ती बरती जा रही थी। लुटेरों को इससे मौका मिल गया। ठंड में चोरी और लूट की घटनाएं बढ़ जाती हैं। आधी रात को घटना हो और सुबह तक पुलिस को भनक न लगे। फिर कैसी गश्त चल रही पटना में, इसका जवाब तो बड़े पुलिस अधिकारियों से पूछा ही जाना चाहिए। नोटबंदी के बाद भीड़ से बचने को आजकल लोग देर रात एटीएम पर जाते हैं। एक गार्ड के साथ जो घटना हुई, वह आम नागरिकों के साथ भी दोहराई जा सकती है। इस घटना ने एक और गड़बड़ी पर ध्यान आकृष्ट कराया है। प्राथमिक जांच में कुछ जानकारियां मिली हैं। नियमानुसार सुरक्षा एजेंसी ने गार्ड का बीमा नहीं कराया था। उसके परिवार को अब बीमा लाभ नहीं मिलेगा। उसका बीमा तो होना चाहिए था। एटीएम की सुरक्षा में तैनात अन्य सुरक्षा कर्मियों के बारे में जांच कराई जाए, तो ऐसी ही जानकारियां मिलेंगी। यह व्यवस्था के प्रति गंभीर सवाल खड़ा करने वाली सूचनाएं हैं। पुलिस और प्रशासन ने सुरक्षा गार्ड उपलब्ध कराने वाली कंपनियों के लिए नियम बनाए हैं। हालांकि उनका पालन नहीं हो रहा। गार्ड की नियुक्ति से लेकर उन्हें दी जाने वाली सुविधाओं तक में नियमों की अनदेखी खतरनाक है। बैंकों को इस बारे में तत्काल पहल करने की जरूरत है। पूरे शहर में एटीएम का जाल बिछ रहा। सुरक्षा में कौन तैनात किए जा रहे, वे कैसे सुरक्षा कर सकते हैं, उनकी अपनी सुरक्षा के क्या इंतजाम हैं, उपभोक्ता की सुरक्षा के क्या इंतजाम हैं? इसकी समीक्षा की जानी चाहिए।
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