फेसबुक का इस्तेमाल ज्यादा दिन जीने में मदद कर सकता है। लेकिन यह तभी संभव है जब आप इसका इस्तेमाल वास्तविक दुनिया के सामाजिक संबंध को बनाए रखने में करेंगे। कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने दावा किया कि सकारात्मक चैट से खुशियां तो बढ़ती ही है, सेहत भी सुधरती है।
12 फीसदी अधिक जीते हैं :
यह शोध सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने वाले 1.2 करोड़ उपभोक्ताओं पर किया गया। जिन लोगों पर यह अध्ययन किया गया उनका जन्म 1945 से 1980 के बीच हुआ था। शोध में पाया गया कि जो लोग नियमित रूप से सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं, वे इसका इस्तेमाल नहीं करने वालों से 12 फीसदी अधिक जीते हैं। इस शोध में इस बात की पुष्टि की गई है कि जिन लोगों का मजबूत सामाजिक दायरा होता है यानी जिनके अधिक दोस्त होते हैं, वे लंबी उम्र तक जीते हैं। यही बात ऑनलाइन सामाजिक दायरा रखने वाले लोगों पर भी लागू होती है।
सर्च इंजन आत्महत्या रोकने में मददगार
जल्द ही इंटरनेट सर्च इंजनों का इस्तेमाल आत्महत्या रोकने में हो सकता है। इसके लिए वैज्ञानिक एक ऐसा तरीका विकसित कर रहे हैं जिससे उन लोगों की पहचान प्रभावी ढंग से हो सके, जिनके आत्महत्या करने की आशंका अधिक है।
इन सर्च इंजनों के माध्यम से आत्महत्या को आतुर आशंकित लोगों को इस मनोस्थिति से उबरने में मदद के लिए उचित काउंसलिंग दी जाएगी और उन्हें यह बताया जाएगा कि उन्हें कहां से मदद मिल सकती है।
मूड भांपते हैं
वैज्ञानिकों का कहना है कि सर्च इंजन पर डाले गए सवाल सिर्फ अपभोक्ता की रुचि के बारे में ही नहीं बताते, बल्कि इसमें उनके मूड की स्थिति से जुड़ी जानकारी भी निहित होती है। गूगल जैसे सर्च इंजन पहले से ही खोज के लिए डाले गए सवालों का जवाब दे रहे हैं, जिन्हें देखकर लगता है कि उपयोगकर्ता शायद आत्महत्या के बारे में विचार कर रहा है। ऐसे व्यक्तियों को काउंसलिंग और आत्महत्या रोकने वाली अन्य सेवाओं के बारे में बताया जाता है।
नकारात्मक असर भी
इस अध्ययन के मुख्य शोधकर्ता विलियम हॉब्स ने कहा, ऑनलाइन होने वाली गतिविधि अगर वास्तविक दुनिया में होने वाली बातचीत की तरह संतुलित और संपूरक हो तो ऐसी बातचीत लंबी उम्र का कारण बनता है। लेकिन बिना सामाजिक दायरे के सोशल मीडिया पर अधिक समय बिताने वाले लोगों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर पड़ता है और इससे व्यक्ति को मनोवैज्ञानिक रूप से कई परेशानियां हो सकती हैं।