बिहार में एड्स दिनोदिन अपना पांच पसार रहा है। पटना, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, मधुबनी, बेगूसराय, मोतिहारी की स्थिति ज्यादा खराब है। कई कारणों से ये जिले एड्स के हब बन गए हैं।
पटना. बिहार में एड्स की बीमारी दिनों दिन भयावह रूप लेती जा रही है। सरकार एवं स्वयंसेवी संगठनों द्वारा बचाव के लिए व्यापक रूप से जागरूकता अभियान चलाये जा रहे हैं। इसके बावजूद मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। राज्य में प्रतिवर्ष 10 हजार लोग एड्स के संक्रमण के शिकार हो रहे हैं। वर्तमान में प्रदेश में संक्रमित मरीजों की संख्या 81 हजार से ज्यादा हो गई है। बिहार राज्य एड्स कंट्रोल सोसायटी के वरिष्ठ अधिकारी अजीत शाही का कहना है कि बिहार में एड्स से निपटने के लिए कई योजनाएं सरकार द्वारा चलाई जा रही हैं। इसके बावजूद बीमारी लगातार पैर पसारती जा रही है।
बड़े जिलों में ज्यादा मरीज
बिहार के बड़े जिले एड्स के ज्यादा चपेट में हैं। खासकर पटना, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, मधुबनी, बेगूसराय, मोतिहारी की स्थिति ज्यादा खराब है। इसके अलावा उत्तरी बिहार के कई जिले हैं, जहां से ज्यादा एड्स संक्रमित मरीज मिल रहे हैं।
जानकारों का कहना है कि उत्तरी बिहार से बाढ़ एवं अन्य कारणों से लोगों का ज्यादा पलायन होता है। इसका असर एड्स पर भी देखा जा रहा है। यहां से काफी संख्या में लोग पलायन कर दिल्ली एवं देश के अन्य शहरों में नौकरी की तलाश में जाते हैं। राज्य से पलायन कर रोजगार की तलाश में बाहर जाने वाले कई लोग विभिन्न कारणों से एड्स के शिकार हो जाते हैं।
सूबे में हैं 403 स्क्रीनिंग सेंटर
बिहार राज्य एड्स कंट्रोल सोसायटी द्वारा सूबे में एड्स के मरीजों की पहचान के लिए 403 स्क्रीनिंग सेंटर बनाए गए हैं। वहां पर कोई भी व्यक्ति अपनी जांच करा सकता है। इसके अलावा सूबे में 208 इंटीग्रेटेड काउंसिलिंग टेस्टिंग सेंटर (आइसीटीसी) विकसित किए गए हैं। जहां एड्स संक्रमित लोगों की इलाज की व्यवस्था की गई है। यहां पर दवाएं भी संक्रमित मरीजों को मुहैया कराई जा रही है।
आज राजधानी में सात जगहों पर जांच
एक दिसम्बर को राजधानी में सात जगहों पर सोसायटी द्वारा जांच शिविर लगाई जाएगी। गुरुवार को पटना जंक्शन, मौर्यालोक परिसर, गांधी मैदान, मीठापुर बस स्टैंड, पीएमसीएच, खगौल रेलवे स्टेशन एवं गोला रोड में एड्स की जांच की जाएगी।
16 नए सेंटर खोलने की तैयारी
एड्स कंट्रोल सोसायटी द्वारा 16 नए एआरटी सेंटर खोलने की तैयारी चल रही है। जल्द ही इन सेंटरों से मरीजों को दवाएं मिलने लगेंगी।
संक्रमित मरीजों की हो पहचान
जाने-माने एड्स विशेषज्ञ डॉ. दिवाकर तेजस्वी का कहना है कि सूबे में एक लाख से ज्यादा एड्स संक्रमित मरीज हैं, जिनकी पहचान करने की जरूरत है। इसके लिए गांव स्तर पर स्क्रीनिंग सेंटर खोला जाए तो बेहतर होगा।
हिम्मत से लड़ सकते बीमारी से
राजेश कुमार (काल्पनिक नाम) पटना के दीघा के रहने वाले हैं। वे एड्स से पीडि़त हैं। कहते हैं, ”दस साल पहले एड्स से संक्रमण का पता चला था। पहले तो मैं काफी घबराया लेकिन बाद में काफी हिम्मत से काम लिया। राजधानी में रहने के कारण दवाओं की परेशानी नहीं होती है। जब भी जरूरत होती एआरटी सेंटर से दवा मिल जाती है। कभी परेशानी होती है तो सोसायटी से भी सम्पर्क कर लेता हूं।”