रोचक कहानियों का उल्लेख जानिए ब्रह्म कमल का ‘त्रेता-द्वापर युग’ कनेक्शन…

ब्रह्म कमल का सृजन ब्रह्मा जी ने किया। लेकिन ये पृथ्वी पर कैसे आया इस बारे में पौराणिक ग्रंथों में तीन बहुत ही रोचक कहानियों का उल्लेख है।

पहली कहानी त्रेतायुग से है जब प्रभु श्रीराम और रावण की सेना के बीच युद्ध चल रहा था। तब लक्ष्मण मूर्च्छित हो गए। ऐसे में हनुमानजी हिमालय से ही संजीवनी पर्वत लेकर आए थे।

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और फिर लक्ष्मण ठीक हो गए। तब आकाश से पुष्प वर्षा हुई थी। आकाश से देवताओं ने जो पुष्प बरसाए वो ब्रह्म कमल ही थे। यह पुष्प पृथ्वी पर हिमालय के साथ अन्य स्थानों पर भी गिरे। तभी से यह पृथ्वी पर दिखाई देने लगे।

दूसरी कहानी द्वापरयुग से है जब भीम और हनुमान जी पहली बार मिले थे। हुआ यूं महाभारत युद्ध के पहले जब पांडव वनवास में थे। हिमालय के रास्ते में जब द्रोपदी ब्रह्म कमल की सुगंध से मोहित हो गईं तो उन्होंने भीम से ब्रह्म कमल लाने का आग्रह किया।

तब भीम ब्रह्म कमल की खोज में निकल पड़े। उन्हें रास्ते में हनुमानजी पूंछ फैलाए मिले। तब उनके बीच संवाद हुआ और अंततः भीम ने क्षमा मांगी तब हनुमानजी ने बताया कि ब्रह्म कमल बद्रीनाथ धाम में ही मिलेगा।

जुड़ी हैं कुछ रोचक मान्यताएं

# ब्रह्म कमल वर्ष में एक बार और कुछ घंटों के लिए ही दिखाई देता है।

# यदि व्यक्ति ब्रह्म कमल को खिलते हुए देख ले तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।

# पर्यावरण में आ रहे बदलाव के कारण यह फूल अब बहुत कम देखने को मिलता है।

# ब्रह्म कमल नंदा देवी का प्रिय फूल माना गया है।

# नंदाष्टमी के समय इसे तोड़ा जाता है लेकिन इसमें भी कुछ नियमों का पालन करना होता है।

# नंदा अष्टमी के दिन देवी-देवताओं पर चढ़ाए गए ब्रह्म कमल के फूलों को प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है।

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