भारत ने लौटाई इस पाकिस्तानी महिला के आँख की रोशनी, वापस जाकर बताएंगी कि ‘भारत क्या है’

रायपुर। भले ही हिंदुस्तान और पाकिस्तान के रिश्ते अच्छे न चल रहे हों, भले ही सरहदों पर बंदूके तनी हों, भले ही पाकिस्तान हिंदुस्तान में आतंक फैला रहा हो, लेकिन अपनों के लिए दिल सरहद के दोनों तरफ धड़कते हैं। रायपुर के एक निजी अस्पताल में पाकिस्तान की 58 वर्षीय जेहरा मोहम्मद रजा की मोतियाबिंद सर्जरी हुई। वे बेहद खुश हैं, क्योंकि धुंधली पड़ चुकी उनकी आंखों को फिर से नई रोशनी मिली गई। वे कहती हैं कि पाकिस्तान में इतने अच्छे न तो डॉक्टर हैं न सुविधाएं। उन्होंने यहां के डॉक्टर्स का शुक्रिया अदा किया और अमन की गुजारिश की।

जेहरा बैरनबाजार में अपने रिश्तेदार के घर घूमने के लिए आई थी। उनके चचेरे भाई सफीक अली बताते हैं कि उनकी बहन को आंख में तकलीफ हुई तो तत्काल डॉक्टर को दिखवाया। डॉक्टर बोले- ‘ऑपरेशन करना होगा। हमने बगैर देरी किए उनकी सर्जरी करवा दी।’ जेहरा का परिवार बंटवारे में पाकिस्तान चला गया था, लेकिन उनका दिल आज भी यहां बसे अपने रिश्तेदारों के लिए उसी तरह धड़कता है जैसा बंटवारे के पहले उनके अम्मी-अब्बू का धड़कता था। जेहरा के पति बैंक में थे सेवानिवृत्त हो गए, दो बेटे हैं।

वीजा के लिए करनी पड़ती है बड़ी मशक्कत

सफीक अली बताते हैं कि जब कोई पाकिस्तान से हिंदुस्तान आता है तो उन्हें अपनी पासपोर्ट की कॉपी, लोकल एड्रेस प्रूफ सब एंबेसी भेजने होते हैं। वहां से सत्यापन के लिए स्थानीय पुलिस को निर्देशित किया जाता है, इतना सबकुछ होने के बाद ही आने की हरी झंडी मिलती है। सफीक अली कहते हैं कि मैं पाकिस्तान कई मरतबा जा चुका हूं, वहां के हालात अच्छे नहीं है। हिंदुस्तान से 4 गुना महंगाई है। चिकित्सकीय सुविधाएं भी उच्च स्तरीय नहीं।

नेकी का संदेश लेकर जाएं

डॉक्टर मरीज में भेदभाव नहीं करता, उसका कर्तव्य मरीज की जान बचाना है। जेहरा पाकिस्तान की हैं, मैंने और उत्साह से सर्जरी की, ताकि वे भारत से नेकी का संदेश लेकर जाएं। दूसरी आंख की सर्जरी होनी है।

डॉ. अभिषेक मेहरा, नेत्ररोग विशेषज्ञ, छत्तीसगढ़ नेत्र चिकित्सालय

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