भोपाल: मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में दिवाली की रात हुए प्रतिबंधित संगठन सिमी के आठ सदस्यों के एनकाउंटर मामले में नया मोड़ सामने आया है। इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, लगभग एक साल पहले खांडवा कोर्ट ने मारे गए 8 सिमी सदस्यों में से 3 के खिलाफ मिले सबूतों को अविश्वसनीय करार दिया था।
खबर के मुताबिक 2011 के एक मामले में खांडवा कोर्ट ने मध्यप्रदेश पुलिस और उस केस के इन्वेस्टिगेटिंग ऑफिसर को लताड़ भी लगाई थी। अकील खिलजी के खिलाफ 2011 में एक मामला दर्ज हुआ था। जिसे लेकर कोर्ट ने गैरकानूनी गतिविधि कड़े (निवारण) अधिनियम (UAPA) के तहत बरी भी कर दिया था।
वहीं जरूरी दस्तावेजों को फोरेंसिक जांच के लिए नहीं भेजने के लिए कोर्ट ने पुलिस को लताड़ गलाई थी। खिलजी को 13 जून 2011 को धार्मिक उन्माद फैलाने व गैरकानूनी गतिविधियों में संलिप्त पाए जाने के आरोप में गिरफ्तार किया था। हालांकि 30 सितंबर 2015 को उसे बरी भी कर दिया गया था।
मारे गए 8 सिमी आतंकियों में से 4 का अंतिम संस्कार गुरुवार को खिलजी के घर खंडवा में किया गया। आपको बता दें कि खिलजी अपने ऊपर लगे बाकी तीन केसों के लिए ट्रायल का इंतजार कर रहा था। खिलजी के खिलाफ 2000 में सिमी के बैन होने के बाद कई सारे केस दर्ज हुए थे।
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक 2011 वाले केस में पुलिस ने अपनी चार्जशीट में कहा था कि खिलजी के घर पर 10-15 सिमी के लोग एकत्रित थे और बड़े हमले की तैयारी कर रहे थे। उस वक्त पुलिस ने खिलजी के घर पर रेड मारकर सिमी के जुड़े दस्तावेज और भड़काऊ सीडी बरामद करने की भी बात कही थी| चार साल के ट्रॉयल के बाद खंडवा कोर्ट ने सभी आरोपियों को यूएपीए के आरोपों से बरी कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि पुलिस द्वारा पेश किए गए सबूत अविश्वसनीय हैं।