ल्यू जब रिटायर्ड होकर मैच से हटे उस समय सौरभ दो गेम जीत चुके थे और तीसरे गेम में 3-3 से बराबरी पर चल रहे थे. सौरभ ने यह मैच 12-10, 12-10, 3-3 से जीता.
27 मिनट तक चले इस फाइनल मैच के पहले और दूसरे दोनों ही गेम में सौरभ ने शुरुआत में पिछड़ने के बाद बेहतरीन वापसी कर जीत हासिल की. पहले गेम में ल्यू ने लगातार पांच अंक अर्जित करते हुए 8-5 से बढ़त ले ली थी, लेकिन सौरभ ने आखिर के पांच अंक लगातार लेते हुए गेम अपने नाम किया.
दूसरे गेम में भी सौरभ एक समय 6-10 से पिछड़ रहे थे, लेकिन इसके बाद उन्होंने ल्यू को एक भी अंक लेने का मौका दिए बगैर लगातार छह अंक हासिल किए और गेम जीतकर मैच में 2-0 की बढ़त हासिल कर ली.
पिछले साल कोहनी और घुटने की चोट के कारण लगभग एक साल तक बाहर रहे सौरभ इससे पहले बेल्जियम और पोलैंड अंतरराष्ट्रीय चैलेंजर प्रतियोगिताओं में उप विजेता रहे थे.
वर्ष 2011 के राष्ट्रीय चैम्पियन सौरभ ने खिताब जीतने के बाद कहा, ‘‘यह मेरे लिए शानदार जीत है और इसकी काफी जरूरत थी. मैं बेल्जियम और पोलैंड ओपन के फाइनल में पहुंचा लेकिन जीत नहीं पाया. इसलिए मैं यहां वही गलती नहीं दोहराने को लेकर प्रतिबद्ध था और मुझे खुशी है कि आज मैं जीत पाया.’’