लखनऊ.यूपी में महागठबंधन की कोशिशें लगातार जारी हैं। मुलायम सिंह के साथ प्रशांत किशोर की एक बार फिर मुलाकात हुई है। शिवपाल यादव की मौजूदगी में दो फेज में दोनों के बीच करीब 6 घंटे बातचीत हुई। हालांकि, अखिलेश यादव ने इलेक्शन स्ट्रैटेजिस्ट प्रशांत को मिलने का वक्त नहीं दिया। कांग्रेस के लिए रणनीति बना रहे प्रशांत पिछले दो दिनों से लखनऊ में थे। इससे पहले भी 1 नवंबर को दिल्ली में मुलायम और प्रशांत की मुलाकात हुई थी। इन मीटिंग्स में अमर सिंह का बड़ा रोल बताया जा रहा है। अखिलेश ने प्रशांत से मिलने से किया इनकार…
– टीवी रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रशांत ने अखिलेश यादव से मिलने की कोशिश की, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया।
– हालांकि, उनके ऑफिस की तरफ से किसी भी तरह की मुलाकात से इनकार किया गया।
– बता दें, इसके पहले राहुल गांधी ने किसान यात्रा के दौरान अखिलेश यादव को अच्छा लड़का कहा था।
– इसके बाद अखिलेश ने भी राहुल की तारीफ करते हुए कहा था कि दो अच्छे लोग मिल जाएं तो इसमें बुरा क्या है।
– यहां से भी कयास लगाए जाने लगे थे कि सपा और कांग्रेस साथ आ सकते हैं।
एक मंच पर आए बड़े नेता
– शनिवार को लखनऊ में हुए सपा के रजत जयंती प्रोग्राम में समाजवादियों को एक मंच पर लाने की कोशिश हुई।
– पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा, आरजेडी चीफ लालू प्रसाद यादव, आरएलडी चीफ अजित सिंह, जेडीयू के सीनियर लीडर केसी त्यागी मौजूद थे।
– ऐसे में अब माना जा रहा है कि यूपी में बिहार की तर्ज पर महागठबंधन की योजना बनाई जा रही है।
– एचडी देवगौड़ा ने भी यहां कहा, ” सांप्रदायिक ताकतों से निपटने के लिए सेक्युलर लोगों को साथ आना होगा।”
– हालांकि, प्रोग्राम में बिहार के सीएम नीतीश कुमार छठ पूजा का हवाला देकर शामिल नहीं हुए थे।
कॉन्फिडेंट नहीं हैं मुलायम
– पॉलिटिकल एक्सपर्ट प्रोफेसर एके वर्मा कहते हैं, ‘महागठबंधन करना सपा की मजबूरी है। पार्टी विधानसभा चुनाव के लिए उत्साहित तो है लेकिन अभी भी असमंजस की स्थिति में है।’
– ‘पिछले लोकसभा चुनाव में 5 सीटों पर सिमटने के बाद मुलायम अभी भी कॉन्फिडेंट नहीं हैं, इसलिए वो महागठबंधन करके वोटों का बिखराव रोकना चाहते हैं।’
– ‘हालांकि, रजत जयंती के मौके पर जो भी नेता मंच पर थे, उनका यूपी में बहुत ज्यादा जनाधार नहीं है। लेकिन फिर न होने से कुछ होना तो अच्छा ही है।’
– ‘मुलायम सिंह अभी से 2019 के लोकसभा चुनाव के बारे में भी सोच रहे हैं। वे अभी से इसकी रुपरेखा तैयार करना चाहते हैं, क्योंकि अभी नरेंद्र मोदी का दूसरा कोई ऑप्शन दिख नहीं रहा है।’