मां ने कड़ी मेहनत कर बेटों को बनाया काबिल

बच्चों को आगे बढ़ाने के लिए मां बाप के संघर्ष की बहुत कहानियां अपने सुनी होंगी लेकिन कुछ कहानियां ऐसी भी हैं जो परिजनों के संघर्षों को एक खुशनुमा मुकाम दे देती हैं।

झारखंड के रामगढ़ में भी ऐसा ही एक वाक्या सामने आया जब सफाईकर्मचारी के पद से रिटायर हुई मां की सेवानिर्वत्ति पर उसके तीनों होनहार बेटे पहुंचे तो हर किसी का सीना गर्व से चौड़ा हो गया। एक बेटा जिले का डीएम तो दूसरा एमबीबीएस डॉक्टर और तीसरा इंजीनियर। मां रिटायर हुई तो बेटे भी खुश नजर आए कि अब आराम से उनकी सेवा कर सकें।

अब आपको तफशील से बतातें हैं यह पूरा मामला झारखंड के रामगढ़ के रजरप्पा निवासी चतुर्थश्रेणी कर्मचारी सुमित्रा देवी ने पति की सालों पहले मौत हो गई थी। पति की असमय मौत से बच्चों की पढ़ाई का जिम्मा सुमित्रा देवी के कंधों पर आ गया।

पढ़ी लिखी न होने के कारण सुमित्रा देवी को कोई बड़ी नौकरी नहीं मिल सकी तो उन्होंने नगर पालिका की टाउनशिप में झाडू लगाने का काम शुरू कर दिया। जल्द ही उन्हें पालिका की ओर से पक्की नौकरी पर रख लिया गया।

इसी दौरान सुमित्रा ने मेहनत कर अपने तीनों बेटों को पढ़ा लिखा कर खूब आगे बढ़ाया। बेटों ने भी मां की मेहनत को जल्द मुकाम दिया और बड़े बेटे वीरेन्द्र कुमार इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रेलवे में इंजीनियर हो गए।

दूसरे बेटे धीरेन्द्र कुमार एमबीबीएस की पढ़ाई कर डॉक्टर बने और सबसे छोटे महेन्द्र कुमार आईएएस में चयनित हो गए। आज वह बिहार के सीवान में जिलाधिकारी के पद पर तैनात हैं। वहीं लंबी नौकरी के बाद अक्टूबर के अंत में सुमित्रा देवी भी सरकारी सेवा से रिटायर हो गई।

दो दिन पहले टाउनशिप में अधिकारियों ने उनकी सेवानिवृत्ति पर छोटे से कार्यक्रम का आयोजन किया तो तीनों काबिल बेटे मां की खुशी में शामिल हुए। अधिकारियों ने इस दौरान उन्हें भी सम्मानित किया।

इस दौरान उनके आईएएस बेटे महेन्द्र ने कहा हमारी मां ने बहुत मेहनत कर हमें इस काबिल बनाया कि हम अपने पैरों पर खड़े हो सकें। दुनिया में कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता। मां हमारी प्रेरणा हैं और हमेशा रहेंगी।

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